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पत्रिका टीम ने शहर में कुछ जगह के पंडालों में जाकर स्थिति देखी। पाया कि अधिकांश स्थानों पर 10 से 15 फीट ऊंची प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा है। इस संबंध में मूर्तिकार कहते हैं कि हमारे यहां 10 फीट तक ऊंची प्रतिमाएं हैं, जबकि हकीकत में कई प्रतिमाएं 15 फीट से अधिक ऊंची हैं।
नवरात्र के लिए होशंगाबाद रोड, कस्तूरबा नगर, शक्ति नगर, साउथ टीटी नगर सहित अनेक स्थानों पर प्रतिमाएं बनाने का काम चल रहा है। अधिकांश स्थानों पर छह फीट की गाइड लाइन के बजाय दो से ढाई गुना तक ऊंची प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं।
प्रशासन निर्माण से पहले सभी पक्षों की बैठक करे
मई-जून से काम शुरू हो जाता है, लेकिन प्रशासन तब सख्ती करता है, जब प्रतिमाएं बन जाती हैं। हम भी नहीं चाहते कि विसर्जन में दिक्कत आए। हम चाहते हैं कि प्रतिमाओं का निर्माण शुरू होने से पहले ही प्रशासन मूर्तिकारों, उत्सव समितियों की संयुक्त बैठक कराए, और इसे अमल में लाए। – गौतम सरदार, मूर्तिकार
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हमारे यहां अधिकतम 10 फीट ऊंची प्रतिमाएं बनी हंै। इनके विसर्जन में कोई दिक्कत नहीं आती है। छह फीट की प्रतिमाओं की बात है तो हमें ग्राहक से मिले ऑर्डर के आधार पर ही प्रतिमाएं तैयार करनी पड़ती हंै। ग्राहक जो डिमांड करता है, उसी आधार पर हम प्रतिमाएं तैयार करते हैं। – निखिलचंद्र पाल, मूर्तिकार
कहां कितनी ऊंची प्रतिमाएं बन रहीं
होशंगाबाद रोड स्थित पंडाल में 10 से 12 फीट ऊंची प्रतिमाएं तैयार हैं। कारीगरों का कहना है कि अधिकतम ऊंचाई 10 फीट है, लेकिन कई प्रतिमाओं की ऊंचाई 13 फीट तक है। शक्ति नगर में 10 से 12 फीट तो कस्तूरबा नगर में इनकी ऊंचाई 12 से 15 फीट तक है।
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मूर्तिकार कार्रवाई का करते हैं विरोध
जिला प्रशासन गाइड लाइन तो जारी कर देता है, लेकिन पालन नहीं कराता। प्रशासन कार्रवाई के लिए उस समय जागता है, जब प्रतिमाएं तैयार हो चुकी होती हंै। इसी वजह से मूर्तिकार, उत्सव समितियां और कुछ संगठन कार्रवाई का विरोध करते हैं। प्रशासन को प्रतिमाएं बनना शुरू होने से पहले ही सख्ती
दिखानी चाहिए।
मूर्तियों का आकार छोटा बनाने के लिए व्यवस्था की जा रही है। आम लोगों को समझाइश दी जाएगी। विभिन्न संगठनों के साथ बैठक करेंगे। – तरुण पिथोड़े, कलेक्टर