भोपाल

जिम्मेदारों की अनदेखी से ही बड़ा तालाब में पानी की गुणवत्ता हो रही खराब

– एसटीपी बनाने का काम स्लो, प्रशासन नहीं हटवा रहा अवैध कब्जे, एप्को भी झाड़े बैठा पल्ला, प्रदूषण विभाग भी कर रहा मनमानी

भोपालNov 25, 2019 / 08:55 am

प्रवेंद्र तोमर

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भोपाल। बड़ा तालाब को लेकर जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण ही पानी की गुणवत्ता दिन व दिन खराब होती जा रही है। पानी में ऑक्सीजन की कमी का असर जलीय जीवों पर पड़ रहा है, कुछ दिन पहले बोट क्लब के पास मछलियां मरने का उदाहरण सामने आने के बाद भी जिम्मेदारों ने कोई कदम नहीं उठाया, यही हाल रहा तो पानी की गुणवत्ता और खराब हो सकती है, दुर्गंध आने लगेगी।

पानी में कॉलीफॉर्म की मात्रा बढ़ी होने से साफ हो रहा है कि नाले लगातार सीवेज उगल रहे हैं। एसटीपी की निर्माण और वॉटर क्लीन कर तालाब में छोडऩे की बात सिर्फ बैठकों में ही सिमट जाती है। पिछले तीन माह में ही अभिकरण बनाने के प्रस्ताव के साथ तीन बैठकें प्रशासन स्तर पर हो चुकी हैं, जिसमें चारों जिम्मेदार विभाग बड़ा तालाब में प्रदूषण कम करने के लिए कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं, लेकिन पालन किसी का नहीं हो रहा।

इन विभागों के पास है ये जिम्मेदारी

1. नगर निगम:

जिम्मेदारी: बड़ा तालाब में मिल रहे छोटे बड़े 42 नालों के पानी से गंदगी न मिले, तालाब में जलकुंभी, कचरे की सफाई, कच्ची अनुमति पर पक्का निर्माण न हो इसकी मॉनीटरिंग करना। स्थिति: आज भी 20 नालों से गंदा सीवेज बड़ा तालाब में मिल रहा है। तीन जगह एसटीपी बन रही है, लेकिन काम इतना स्लो है कि अभी छह माह और लगेंगे। सफाई के लिए एक मशीन रहती है जो कभी-कभी चलती है।

2. जिला प्रशासन:

जिम्मेदारी: तालाब में अवैध कब्जे न होने दें, जो हो चुके हैं उनको तत्काल हटाएं, मुनारों में छेड़छाड़ न होने पाए, इसके अलावा ओवर ऑल जिम्मेदारी इन्हीं के पास है।

स्थिति: बैरागढ़ सर्किल में ही 361 अतिक्रमण चिन्हित कर सूची बनाई, मात्र 14 तोड़े इसके बाद एक दिन भी टीम नहीं गई। राजनीतिक दबाव के चलते अवैध कब्जे तालाब की सूरत बिगाड़े पड़े हैं।

3. एप्को:

जिम्मेदारी: वेटलेंड के तहत इनका काम तलाब की क्षमता विकास, शोध, नेटवर्र्किंग, कम्यूनिकेशन, जागरुकता, निर्माण की अनुमति और वित्तिय संसाधनों को बढ़ाना है।

स्थिति: एप्को, रिटेनिंग वॉल, बोट जेट्टी, एम्फीथिएटर, म्यूजिकल फाउंटेन बन गए, किसकी अनुमति से पता ही नहीं। कभी जागरुकता के लिए काम नहीं किया, पांच साल में एक बैठक की।

4. प्रदूषण विभाग:

जिम्मेदारी: मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काम तालाब के पानी की नियमित जांच कर पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए खुद और जिम्मेदारों को प्रेरित करना।

स्थिति: आधी अधूरी रिपोर्ट बनाते हैं, हाल ही में बनाई रिपोर्ट में महत्वपूर्ण बीओडी और डीओ (डिजॉल्ब ऑक्सीजन )ही जांचना भूल गए। नियमित रिपोर्ट न बनाने से पानी की गुणवत्ता सुधार पर कोई काम नहीं हो रहा।

शहर में चार जगह से होती है सप्लाई

बड़ा तालाब से शहर को पानी की सप्लाई के लिए चार जगह से पानी लिया जाता है। इसमें बैरागढ़, करबला, कमला पार्क, बोट क्लब हैं। हाल ही में पानी की रिपोर्ट से पता चला है कि बैरागढ़ क्षेत्र के पानी की गुणवत्ता ज्यादा खराब हो रही है। यहां के पानी में कॉलीफॉर्म की मात्रा का स्तर 120 मिला है, जबकि ये शून्य होना चाहिए था। यहां सीवेज के अलावा घरों में चल रहे छोटे-छोटे उद्योगों का पानी तालाब में मिल रहा है। वन ट्री हिल्स की तरफ के हिस्से में खुद नगर निगम ने शौचालय तालाब के किनारे रख दिए हैं।

वर्जन

बड़ा तालाब से कब्जे हटाने के निर्देश दिए गए हैं, अमला व्यस्त होने के कारण थोड़ा लेट हो रहा है। पानी की गुणवत्ता के लिए जिम्मेदारों से बात की जाएगी। – तरुण पिथोड़े, कलेक्टर

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