अर्जुन सिंह भी खा गए थे मात
बाबूलाल गौर 1974 में भोपाल दक्षिण सीट पर हुए उपचुनाव में मैदान में थे। बाबूलाल गौर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह अपनी पार्टी के उम्मीदवार का प्रचार करने के लिए भोपाल दक्षिण पहुंचे थे। इस दौरान वो मंच से एक सभा को संबोधित कर रहे थे तभी बाबूलाल गौर ने अर्जुन सिंह के लिए एक चिट्ठी भिजवाई। अर्जुन सिंह ने मंच में ही चिट्ठी खोली और देखा तो उसमें लिखा था- अर्जुन सिंह जी आप मेरा मंच से नाम ले लेना। अर्जुन सिंह ने मंच से बाबूलाल गौर का नाम लिया।
बाबूलाल गौर 1974 में भोपाल दक्षिण सीट पर हुए उपचुनाव में मैदान में थे। बाबूलाल गौर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह अपनी पार्टी के उम्मीदवार का प्रचार करने के लिए भोपाल दक्षिण पहुंचे थे। इस दौरान वो मंच से एक सभा को संबोधित कर रहे थे तभी बाबूलाल गौर ने अर्जुन सिंह के लिए एक चिट्ठी भिजवाई। अर्जुन सिंह ने मंच में ही चिट्ठी खोली और देखा तो उसमें लिखा था- अर्जुन सिंह जी आप मेरा मंच से नाम ले लेना। अर्जुन सिंह ने मंच से बाबूलाल गौर का नाम लिया।
इसे भी पढ़ें- बाबूलाल गौर के निधन पर पीएम मोदी ने कहा- उनके विकास कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे अर्जुन सिंह को चिट्ठी भेजने के पीछे बाबूलाल गौर ने एक सियासी दांव खेला था। बाबूलाल गौर चाहते थे कि किसी तरह से अर्जुन सिंह जैसे नेता मंच से उनका नाम ले लें तो वो सुर्खियों में जाएंगे। हुआ भी वही जो बाबूलाल गौर चाहते थे। बाबूलाल गौर सुर्खियों में आ गए और उन्होंने उपचुनाव में जीत दर्ज की और पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1977 से वो गोविंदपुरा चुनाव लड़े। गोविंदपुरा से वो कभी चुनाव नहीं हारे और 2018 तक लगातार 10 बार विधायक चुने गए।
जेपी ने दिया था जीत का आशीर्वाद
बाबूलाल गौर अपना पहला चुनाव हार गए थे। बाद में वो जनसंघ के कार्यकर्ता बने। देश में जेपी आंदोलन जोर पकड़ रहा था। जिस कारण से बाबूलाल गौर भी जेपी आंदोलन में कूद गए थे। बाबूलाग गोर ने भोपाल में कई आंदोलन किए जिसके कारण वो जेपी (जयप्रकाश नारायण) की नजरों में आ गए। जेपी, बाबूलाल गोर के काम की रिपोर्ट से बेहद खुश थे। जेपी आंदोलन के बाद विधानसभा चुनाव हुए। जेपी ने जनसंघ से कहा यदि बाबूलाल गौर को निर्दलीय खड़ा किया जाएगा तो वे उनका समर्थन करेंगे। इसके बाद बाबूलाल गौर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। मध्यप्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनने के कुछ समय पश्चात जेपी भोपाल आए।
बाबूलाल गौर अपना पहला चुनाव हार गए थे। बाद में वो जनसंघ के कार्यकर्ता बने। देश में जेपी आंदोलन जोर पकड़ रहा था। जिस कारण से बाबूलाल गौर भी जेपी आंदोलन में कूद गए थे। बाबूलाग गोर ने भोपाल में कई आंदोलन किए जिसके कारण वो जेपी (जयप्रकाश नारायण) की नजरों में आ गए। जेपी, बाबूलाल गोर के काम की रिपोर्ट से बेहद खुश थे। जेपी आंदोलन के बाद विधानसभा चुनाव हुए। जेपी ने जनसंघ से कहा यदि बाबूलाल गौर को निर्दलीय खड़ा किया जाएगा तो वे उनका समर्थन करेंगे। इसके बाद बाबूलाल गौर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। मध्यप्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनने के कुछ समय पश्चात जेपी भोपाल आए।
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इस दौरान बाबूलाल गौर ने उनके ‘सर्वोदय संगठन’ को 1500 रुपए का चंदा दिया। जेपी ने उनके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया था कि तुम जीवन भर जनप्रतिनिधि बने रहोगे। कभी कोई चुनाव नहीं हारोगे। उसके बाद से बाबूलाल गौर कभी कोई चुनाव नहीं हारे। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उम्र का हवाला देते हुए उन्हें टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह गोविंदपुरा सीट से भाजपा ने बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया था। कृष्णा गौर पहली बार विधायक बनी हैं।
इस दौरान बाबूलाल गौर ने उनके ‘सर्वोदय संगठन’ को 1500 रुपए का चंदा दिया। जेपी ने उनके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया था कि तुम जीवन भर जनप्रतिनिधि बने रहोगे। कभी कोई चुनाव नहीं हारोगे। उसके बाद से बाबूलाल गौर कभी कोई चुनाव नहीं हारे। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उम्र का हवाला देते हुए उन्हें टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह गोविंदपुरा सीट से भाजपा ने बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया था। कृष्णा गौर पहली बार विधायक बनी हैं।