इन कैमरों में छात्रों, चिकित्सा शिक्षकों, मेडिकल व पैरामेडिकल स्टॉफ के आने – जाने, उपस्थित रहने के साथ कायज़्प्रणाली की रिकॉडिंज़्ंग की जाएगी। इस रिकॉडिंज़्ग को दिल्ली स्थित सीसीआईएम में भेजा जाएगा। इसी रिकॉडिज़्ग के आधार पर कॉलेजों की स्थिति तय होगी।
चिकित्सा शिक्षकों व चिकित्सकों के बायोमेट्रिक अटेंडेंस की रिकॉडिंज़्ग भी की जाएगी। मालूम हो कि प्रदेश में भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, इंदौर, बुरहानपुर व अन्य स्थानों में 22 कॉलेज समेत देशभर में 500 से ज्यादा आयुष कॉलेज हैं।
मान्यता पाने करते हैं खेल जानकारी के मुताबिक यह कॉलेज मान्यता पाने के लिए गड़बडिय़ां करते हैं। मान्यता के लिए सीसीआईएम ने प्रोफेसरों के साथ स्टाफ और अस्पताल में मरीजों की न्यूनतम संख्या तय की है। लेकिन कई कॉलेज निरक्षण के समय फजीज़् प्रोफेसर, यहां तक कि मरीजों को भी फजीज़् तरीके से ले आते हैं। मालूम हो कि इससे पहले आईसीएमआर भी मेडिकल कॉलेजों में कैमरे लगाने के निदेज़्श दे चुका है।