उन्होंने यह भी कहा कि भोपाल में विकसित हो रहे विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन हबीबगंज का नाम अटल जी के नाम पर रखे जाने के लिए रेल मंत्री से आग्रह करेंगे। दरअसल देश का पहला व्हीव्हीआईपी vvip रेलवे स्टेशन इन दिनों आकार ले रहा है। इस स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है, वहीं जानकारों के आशा है ये 2019 के शुरुआती माह में पूर्ण हो जाएगा!
यह रेलवे स्टेशन सभी आधुनिक सुविधाओं से लैंस होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर का भी होगा। कुल मिलाकर जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार देश के ह्दय स्थल भोपाल में स्थित हबीबगंज स्टेशन जिसका नाम जल्द ही अटल स्टेशन हो सकता है।
दरअसल भारतीय रेल रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी सुविधा मुहैया कराने की दिशा में लंबे समय से कार्य कर रही है। इसी के तहत देश के हबीबगंज और गांधीनगर रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की तरह विकसित किया जा रहा है। ऐसे में आने वाले कुछ महीनों में मध्यप्रदेश और गुजरात को ऐसे एक-एक रेलवे स्टेशन मिल जाएंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि यह दोनों स्टेशन 2019 के शुरुआती दौर में ही देश को मिल जाएंगे। ज्ञात हो कि देशभर के रेलवे स्टेशनों को स्टेट ऑफ द आर्ट सुविधाओं के साथ विकसित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
अटल स्टेशन में ये होंगी खास सुविधाएं…
1. मुफ्त वाई-फाई सुविधा: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। जो सूचनाएं सामने आ रहीं हैं उनके अनुसार स्टेशन पर 600 आरामदायक बेंच, स्वच्छ शौचालय और दुकानें होंगी।
1. मुफ्त वाई-फाई सुविधा: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। जो सूचनाएं सामने आ रहीं हैं उनके अनुसार स्टेशन पर 600 आरामदायक बेंच, स्वच्छ शौचालय और दुकानें होंगी।
2. वहीं यहां पर कैफे और फास्ट फूड रेस्टोरेंट भी होंगे। इसके अलावा सभी यात्रियों के लिए मुफ्त वाई-फाई की भी सुविधा होगी। 3. इसके अलावा स्टेशन भवन को भी नए सिरे से बनाया जाएगा, जिसमें शीशे का गुंबदनुमा एक विशाल ढांचा भी होगा।
4.यहां वेटिंग लाउंज भी बनाया जाएगा जहां फूड प्लाजा और कैफेटेरिया की सुविधा होगी। स्टेशन को पूरी तरह से डेवलप करने में 450 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। सूत्रों के अनुसार स्टेशन के पूरी तरह से बनकर तैयार होने के बाद इसके रखरखाव पर 4-5 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि 6.5 से 7 करोड़ रुपए का सालाना राजस्व आने की उम्मीद है। जिसे चरणबद्ध तरीके से 10 करोड़ रुपये तक पहुंचाया जाएगा।