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भोपाल

कंचे खेलने के बेहद शौकीन थे अटलजी, गुजिया और चिवड़ा भी साथ रखते थे

25 December 1924 को ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से…।

भोपालDec 25, 2019 / 11:30 am

Manish Gite

ATAL

atal bihari vajpayee

भोपाल। दुनियाभर में लोकप्रिय भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दिखने में जितने गंभीर थे, उतने ही मजाकिया भी थे। वे एक अच्छे वक्ता, कवि भी थे। उनके करीबी लोग बताते हैं कि वे बचपन से ही नटखट स्वभाव के थे और उन्हें कंचे खेलने का बेहद शौक था।

patrika.com आपको बता रहा है भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से…।

 

अटलजी के साथ रहने वाले मित्र भी उनके नटखट स्वभाव से बेहद प्रभावित रहते थे। बताया जाता है कि अटलजी बचपन से ही इतने नटखट थे कि जब मूड हो जाता था को कंचे खेलने बैठ जाते थे। वे बचपन में अपने मित्रों के साथ कंचे खेलने के लिए बहुंच जाते थे। इसके साथ ही उनके साथ रहने वाले बताते हैं कि वे हमेशा साथ में ग्वालियर का चिवड़ा और गुजिया भी साथ रखते थे।


अटल बिहारी वाजपेयी के करीब मित्र बताते हैं कि वे बचपन में इतने नटखट थे कि वे जब मूड हुआ तो कंचे खेलने भी लग जाते थे। वे बचपन में अपने बाल मित्रों के साथ अक्सर कंचे खेलने के लिए पहुंच जाते थे। इसके अलावा उन्हें गुजिया और ग्वालियर का चिवड़ा भी खूब भाता था। प्रधानमंत्री रहते हुए अटलजी जब भी ग्वालियर पहुंचते थे तो ढेर सारा चिवड़ा लेकर अपने साथ जाते थे।

 

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पिता शिक्षक थे
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्‍वालियर में एक स्कूल शिक्षक के घर हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई। यहां के विक्टोरिया कॉलेज में भी उन्होंने पढ़ाई की, जिसे आज लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है। 40 के दशक की शुरुआत में ग्वालियर में पढ़ाई के दौरान अटलजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे। इसके बाद उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में जेल तक जाना पड़ा। वे एक अच्छे वक्ता और कवि ( Indian politician, statesman and a poet ) भी थे। उस वक्त हिन्दू माहौल था और वाजपेयी की कविता हिन्दू तन मन हिन्दू जीवन…हिन्दू मेरा परिचय, यहीं से मशहूर हो गई थी।

 

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करियर की शुरुआत में की पत्रकारिता
अटल बिहारी ने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत की। अटलजी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी से ही विरासत में उन्हें कविता लिखने की प्रेरणा मिली थी। इस कवि, पत्रकार के सादगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 1977-78 में वे विदेश मंत्री बने तो ग्वालियर पहुंचने के बाद वे भाजपा के संगठन महामंत्री के साथ साइकिल से सर्राफा बाजार निकल पड़े थे, लेकिन 1984 में अटलजी इसी सीट से चुनाव हार गए थे। फिर भी राजनीति की तेड़ी-मेढी राहों पर वे आगे बढ़ते चले गए और एक दिन प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गए।

भोपाल से भी है गहरा लगाव
दिवंगत अटलजी का भोपाल से भी गहरा लगाव रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की भतीजी रेखा शुक्ला और उनका परिवार भोपाल में रहता है। जब तक अटलजी चलते-फिरते थे, तो वे अक्सर अपनी भतीजी के घर पहुंच जाते थे। बहुत कम लोग ही यह बात जानते हैं कि अटल बिहारी भोपाल यात्रा के दौरान अपनी भतीजी रेखा के घर ठहरते थे। वहीं भोजन करते थे और सुकून से पल वहीं गुजारते थे। वह खाने के भी शौकीन थे, इसलिए वह खासतौर से भतीजी के हाथों बना भोजन करना पसंद करते थे। यह वहीं समय था जब वे खाली वक्त में कविताएं और भाषण भी रेखा के घर बैठकर ही लिखते थे। दुनियाभर में लोकप्रिय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के एम्स में 16 अगस्त 2018 को अंतिम सांस ली थी।

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