प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट लेक्चरर और लेक्चरर के पद पर पदोन्नति पर पाबंदी है। जरूरत पड़ने पर सीधी भर्ती की जाती है। इस भर्ती में सबसे पहले कॉलेज के ही उम्मीदवार को प्राथमिकता देने का प्रावधान है। आंतरिक उम्मीदवार नहीं मिलने की स्थिति में अन्य सरकारी कॉलेज के उम्मीदवार की भर्ती की जाती है।
अभी कॉलेज छोड़कर अन्य कॉलेज में जाने पर टीचर की वरिष्ठता खत्म हो जाती है। वरिष्ठता समाप्त हो जाने से उन्हें आर्थिक नुकसान होता है, ऐसे टीचर का वेतन भी कम हो जाता है। अब ऐसा नहीं होगा। टीचर्स की नियुक्ति के लिए नए प्रस्ताव में उनकी वरिष्ठता बनाए रखने का प्रावधान है। इससे उनके वेतन-भत्ते की केवल हानि ही नहीं रुकेगी वरन इसमें लाभ ही होगा।
एक सरकारी मेडिकल कॉलेज से किसी अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज में जाने, सरकारी मेडिकल कॉलेज से स्वशासी मेडिकल कॉलेज में जाने और स्वशासी मेडिकल कॉलेज से किसी अन्य स्वशासी मेडिकल कॉलेज में जाने पर वरिष्ठता बनी रहेगी। यानि वेतन भत्तों का लाभ मिलेगा। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इस संबंध में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है जिसे जल्द मंजूर किए जाने की उम्मीद है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में टीचर्स की कमी दूर करने के लिए यह कवायद की जा रही है।