क्यों हो रहे हैं उपचुनाव
2018 के विधानसभा चुनाव में झाबुआ विधानसभा सीट पर भाजपा के जीएस डामोर ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डीएस डामोर को झाबुआ संसदीय सीट से मैदान में उतारा था। जीएस डामोर लोकसभा का चुनाव जीत गए थे। पार्टी हाई कमान के निर्देश के बाद जीएस डामोर ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से ये सीट खाली है।
बाप बेटे को हराया था
जीएस डामोर ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराया था। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में जीएस डामोर ने कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराया था।
जीएस डामोर ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराया था। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में जीएस डामोर ने कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराया था।
कांग्रेस में गुटबाजी
झाबुआ उपचुनाव की तारीख के एलान से पहले ही कांग्रेस में गुटबाजी की खबरें आ रही थीं। कांग्रेस के सामने पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा और कांतिलाल भूरिया में से किसी एक को टिकट देने का विकल्प है। भूरिया चाहते हैं कि उन्हें या उनके बेटे को व्रिकांत भूरिया को टिकट मिले। वहीं, जेवियर मेड़ा इसका विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस यह तथ्य जानती है कि विधानसभा चुनाव में मेड़ा के निर्दलीय उतरने के कारण ही विक्रांत भूरिया चुनाव हारे थे। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस मेड़ा को टिकट देने का विचार कर रही है। कांतिलाल भूरिया को संतुष्ट करने के लिए राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया जा सकता है। कांग्रेस को लगता है कि अगर मेड़ा और भूरिया मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो झाबुआ सीट पर कब्जा किया जा सकता है।