गौरतलब है कि सत्तर के दशक में बना भारत टॉकीज ब्रिज की इंटरनल रिपेरिंग होने के बाद इसके उम्र 30 साल और बढ़ गई है,लेकिन इसके ऊपरी हिस्से का मेंटेनेंस ब्रिज का रास्ता खुलने के आठ माह बाद पूरा नहीं हुआ है। पड़ताल में सामने आया कि आठ माह से हो रहा इसमें डामरीकरण का काम भी 60 फीसदी ही हुआ है। फुटपाथ का काम तो शुरू ही नहीं हुआ है, जबकि ब्रिज का भार कम करने के लिए इसकी सडक़ और फुटपाथ को उखाड़ दिया गया था।
ऑटो वालों के जमघट से आवागमन प्रभावित
ब्रिज के शुरू होते ही यहां सवारियों के लिए सुबह से ऑटो वालों की कतार ब्रिज के ऊपर लगना शुरू हो गई थी। जिसके कारण ब्रिज पर एक साइड से निकलने वालों को दिक्कतें हो रही है। यहां लगते ऑटो वालों के जमघट पर कोई कंट्रोल करने वाला नहीं रहता है।
रोजाना 50 हजार से अधिक वाहन निकलते
करीब एक फीट नीचे तक ब्रिज खोदकर उसपर डामरीकरण किया जा रहा है। ब्रिज भले मजबूत कर दिया गया हो,लेकिन ऊपर से इसकी हालात अब भी अन्य ब्रिजों के अपेक्षा सबसे जर्जर नजर आती है। जबकि इस ब्रिज से रोजाना 50 हजार से अधिक वाहन निकलते हैं।
पाथवे ज्यादा जर्जर
फुटपाथ ज्यादा जर्जर हालत में है। हाल यह है कि लोग इस पर पैदल नहीं निकल पा रहे हंै। टूटे फर्श के साथ फुटपात पर सोने वालों के कब्जे के चलते पैदल चलने वाले सडक़ से निकल रहे हैं। लोगों का कहना है कि हजारों लोग ब्रिज से दूसरी साइड पर सब्जी, आजाद मार्केट की ओर खरीदारी के लिए पैदल जाते हैं। व्यस्त मार्ग पर फुटपाथ दुरुस्त होना चाहिए।
उम्र बढऩे का दावा
अधिकारियों का कहना है कि 50 साल पुराने ब्रिज का भार अधिक बढ़ गया था। जिससे इसके बियरिंग सारे खराब हो चुके थे। उनके बदलने व ब्रिज के ऊ पर का भार कम होने से इसकी लाइफ 30 साल और बढ़ जाएगी। इसके लिए ब्रिज का मार्ग दो माह के लिए बंद करने के अलावा इंजीनियरों के पास कोई विकल्प नहीं था।
ऑटो वालों के जमघट से आवागमन प्रभावित
ब्रिज के शुरू होते ही यहां सवारियों के लिए सुबह से ऑटो वालों की कतार ब्रिज के ऊपर लगना शुरू हो गई थी। जिसके कारण ब्रिज पर एक साइड से निकलने वालों को दिक्कतें हो रही है। यहां लगते ऑटो वालों के जमघट पर कोई कंट्रोल करने वाला नहीं रहता है।
रोजाना 50 हजार से अधिक वाहन निकलते
करीब एक फीट नीचे तक ब्रिज खोदकर उसपर डामरीकरण किया जा रहा है। ब्रिज भले मजबूत कर दिया गया हो,लेकिन ऊपर से इसकी हालात अब भी अन्य ब्रिजों के अपेक्षा सबसे जर्जर नजर आती है। जबकि इस ब्रिज से रोजाना 50 हजार से अधिक वाहन निकलते हैं।
पाथवे ज्यादा जर्जर
फुटपाथ ज्यादा जर्जर हालत में है। हाल यह है कि लोग इस पर पैदल नहीं निकल पा रहे हंै। टूटे फर्श के साथ फुटपात पर सोने वालों के कब्जे के चलते पैदल चलने वाले सडक़ से निकल रहे हैं। लोगों का कहना है कि हजारों लोग ब्रिज से दूसरी साइड पर सब्जी, आजाद मार्केट की ओर खरीदारी के लिए पैदल जाते हैं। व्यस्त मार्ग पर फुटपाथ दुरुस्त होना चाहिए।
उम्र बढऩे का दावा
अधिकारियों का कहना है कि 50 साल पुराने ब्रिज का भार अधिक बढ़ गया था। जिससे इसके बियरिंग सारे खराब हो चुके थे। उनके बदलने व ब्रिज के ऊ पर का भार कम होने से इसकी लाइफ 30 साल और बढ़ जाएगी। इसके लिए ब्रिज का मार्ग दो माह के लिए बंद करने के अलावा इंजीनियरों के पास कोई विकल्प नहीं था।
ये सहीं है कि काम थोड़ा धीमा जरुर हो रहा है,लेकिन जिस तरह का डामरीकरण किया जा रहा है, उसे ब्रिज ऊपरी हिस्से में भार कम पढ़े इसका ध्यान रखा गया है। हमारे हिसाब से 80 फीसदी डामरीकरण हो चुका है, जो बचा है, वह भी जल्द हो जाएगा। पाथवे का काम जरुर बाद में किया जाएगा।
जावेद शकील, ईई, पीडब्ल्यूडी