भाजपा उपाध्यक्ष प्रभात झा कहते हैं, अरुण जेटली मध्यप्रदेश में भाजपा को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाने में पहली सीढ़ी बने थे। जेटली ने उस समय लगभग एक साल के लिए मध्यप्रदेश में ही डेरा डाल लिया था। उन्होंने सड़क, बिजली और पानी को मुद्दा बनाया और भाजपा के कैंपेंन की नींव रखी। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के समय जेटली ने लंबे समय मध्यप्रदेश में ही कैंपेन किया। उमा भारती के साथ चुनाव प्रबंधन के संयोजक अनिल माधव दवे और प्रदेश संगठन महामंत्री कप्तान सिंह सोलंकी के साथ उन्होंने भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीत की ओर आगे बढ़ाया।
प्रभाता झा के मुताबिक, जेटली ने ही मिस्टर बंटाढार स्लोगन बनाया। जो तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ प्रयोग किया गया और सफल भी साबित हुआ। मध्यप्रदेश में जेटली का सफल प्रयोग भाजपा को इतना पसंद आया कि उन्हें 2008 में मिशन कर्नाटक पर लगाया गया। उन्होंने वहां भी भाजपा की सरकार बनवाने में मुख्य भूमिका निभाई।
बाबूलाल गौर को फोन पर ही दी थी सूचना
नवंबर 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर इंदौर में थे। उसी समय उनके पास अरुण जेटली का फोन पहुंचा। बहुत हल्ला होने के कारण गौर को आवाज सुनाई नहीं दी। दस मिनट बाद गौर के पास फिर जेटली का फोन पहुंचा। उन्होंने बताया कि संसदीय बोर्ड ने शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है।
अहम किरदारों में शामिल थे जेटली
गौर के इस्तीफे के बाद शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री चुने जाने के अहम किरदारों में भी जेटली शामिल रहे। प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की ऐतिहासिक बैठक में प्रमोद महाजन, राजनाथ ङ्क्षसह और तत्कालीन संगठन महामंत्री संजय जोशी के साथ जेटली भी थे। इसी बैठक में शिवराज को सीएम घोषित किया गया था।
17 नवंबर 2018… आखिरी दौरा भोपाल का
अरुण जेटली का अंतिम मध्यप्रदेश दौरा 17 नवंबर 2018 को था। वे विधानसभा चुनाव के दौरान दृष्टिपत्र जारी करने यहां आए थे। इस दौरान वे अस्वस्थ नजर आ रहे थे। मीडिया ने जब अनौपचारिक चर्चा में उनसे पूछा था कि अब कब आएंगे भोपाल? तो जेटली ने कहा था शिवराज चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, बस उसी समय मुलाकात होगी। शिवराज चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए और यह जेटली का अंतिम दौरा बनकर रह गया।