बाजारों में सज गई पूजन सामग्री की दुकानें
देवउठनी एकादशी के पहले शहर में अनेक स्थानों पर गन्ने की ढेरिया और पूजन सामग्री की दुकाने लग गई है। शहर में जगह-जगह गन्ने की ढेरियां नजर आ रही है और लोग गन्नों की खरीदारी कर रहे है। शहर के माता मंदिर, न्यू मार्केट, जहांगीराबाद, कोलार रोड, बावडि़यां सहित अनेक स्थानों पर गन्नों की बिक्री शुरू हो गई है। इस बार गन्ना २५ से ३० रुपए प्रतिनग मिल रहा है। इसी प्रकार एकादशी में इस्तेमाल होने वाली पूजन सामग्री की दुकाने भी जगह-जगह सज गई है।
देवउठनी एकादशी के पहले शहर में अनेक स्थानों पर गन्ने की ढेरिया और पूजन सामग्री की दुकाने लग गई है। शहर में जगह-जगह गन्ने की ढेरियां नजर आ रही है और लोग गन्नों की खरीदारी कर रहे है। शहर के माता मंदिर, न्यू मार्केट, जहांगीराबाद, कोलार रोड, बावडि़यां सहित अनेक स्थानों पर गन्नों की बिक्री शुरू हो गई है। इस बार गन्ना २५ से ३० रुपए प्रतिनग मिल रहा है। इसी प्रकार एकादशी में इस्तेमाल होने वाली पूजन सामग्री की दुकाने भी जगह-जगह सज गई है।
हल्दी, मेहंदी लगेगी, निकलेगी बारात
करुणाधाम आश्रम नेहरू नगर में देवउठनी एकादशी पर विवाह की अनेक रस्मों का निर्वहन होगा। आश्रम के सेवक वर और वधु पक्ष के रूप में शामिल रहेंगे। इस दौरान हल्दी, मेंहदी की रस्में होगी। शाम को नेहरू नगर चौराहे से बारात निकलेगी, जो महालक्ष्मी मंदिर पहुंचेगी। यहां विवाह की रस्मंे होगी।
करुणाधाम आश्रम नेहरू नगर में देवउठनी एकादशी पर विवाह की अनेक रस्मों का निर्वहन होगा। आश्रम के सेवक वर और वधु पक्ष के रूप में शामिल रहेंगे। इस दौरान हल्दी, मेंहदी की रस्में होगी। शाम को नेहरू नगर चौराहे से बारात निकलेगी, जो महालक्ष्मी मंदिर पहुंचेगी। यहां विवाह की रस्मंे होगी।
चातुर्मास का होगा समापन
देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का समापन होगा और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। देव सोए होने के कारण चार माह तक गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन संस्कार, प्राण प्रतिष्ठा आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान जागृत होते हैं। इसी परम्परा का निर्वाह करते हुए श्रद्धालु भगवान विष्णु को ढोल मंजीरों और भजन कीर्तन के साथ जगाएंगे और तुलसी और सालिगराम का विवाह कराया जाएगा। घरों के आंगन में गन्ने से मंडप सजाया जाएगा और विवाह मंत्रों के परंपरा का निर्वाह होगा।
देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का समापन होगा और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। देव सोए होने के कारण चार माह तक गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन संस्कार, प्राण प्रतिष्ठा आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान जागृत होते हैं। इसी परम्परा का निर्वाह करते हुए श्रद्धालु भगवान विष्णु को ढोल मंजीरों और भजन कीर्तन के साथ जगाएंगे और तुलसी और सालिगराम का विवाह कराया जाएगा। घरों के आंगन में गन्ने से मंडप सजाया जाएगा और विवाह मंत्रों के परंपरा का निर्वाह होगा।
२१ जोड़ों द्वारा कराया जाएगा विवाह
देवउठनी एकादशी के मौके पर नथमल धर्मशाला लखेरापुरा में २१ जोड़ों द्वारा तुलसी सालिगराम विवाह का आयोजन किया जाएगा। अनुपम अग्रवाल ने बताया कि इस दौरान पंडितों द्वारा विधि विधान के साथ विवाह की रस्में कराई जाएगी।
देवउठनी एकादशी के मौके पर नथमल धर्मशाला लखेरापुरा में २१ जोड़ों द्वारा तुलसी सालिगराम विवाह का आयोजन किया जाएगा। अनुपम अग्रवाल ने बताया कि इस दौरान पंडितों द्वारा विधि विधान के साथ विवाह की रस्में कराई जाएगी।