तीन तालाब और हजारों पेड़ों से सजा था शहर
पानी को बचाने की दिशा में इसे तैयार किया गया। मोतिया तालाब, सिद़दीक हसन खान, मुंशीहुसैन खां यह तीन तालाब की एक श्रंखला है। इसके बाद बाग और बागीजे हुआ करते थे।
पानी को बचाने की दिशा में इसे तैयार किया गया। मोतिया तालाब, सिद़दीक हसन खान, मुंशीहुसैन खां यह तीन तालाब की एक श्रंखला है। इसके बाद बाग और बागीजे हुआ करते थे।
धार्मिक स्थलों को दरख्तो से जोड़ा, आज भी कायम
कई धार्मिक स्थल हैं जो पेड़ों से जुड़े हैं। शहर में एक दर्जन से ज्यादा म स्जिदों के नाम पेड़ों के नाम पर हैं। इसी के नाम से इनकी पहचान है। कई मंदिरो को भी पेड़ों के नाम से ही पहचाना जाता है। जहांगीराबाद क्षेत्र में सौ साल से भी ज्यादा पुरानी नीम वाली मस्जिद है। इसके गेट पर नीम का पेड़ है जिसके चलते इसे उसी नाम से पुकारा जाता है। इतना ही यह पूरी सड़क ही पेड़ के नाम से जानी जाती है। बाग दिलकुशा में इमली वाली मस्जिद है।
कई धार्मिक स्थल हैं जो पेड़ों से जुड़े हैं। शहर में एक दर्जन से ज्यादा म स्जिदों के नाम पेड़ों के नाम पर हैं। इसी के नाम से इनकी पहचान है। कई मंदिरो को भी पेड़ों के नाम से ही पहचाना जाता है। जहांगीराबाद क्षेत्र में सौ साल से भी ज्यादा पुरानी नीम वाली मस्जिद है। इसके गेट पर नीम का पेड़ है जिसके चलते इसे उसी नाम से पुकारा जाता है। इतना ही यह पूरी सड़क ही पेड़ के नाम से जानी जाती है। बाग दिलकुशा में इमली वाली मस्जिद है।
बड़ की जड़ से निकले थे महादेव, नाम पड़ा बड़वाले महादेव बड़वाले महादेव बरगद के पेड के नाम से बड़वाले महादेव शहर का प्रसिद्ध मंदिर है। बताया गया कि बरगद के पेड़ की जड़ से शिवलिंग निकला था। इसी पेड़ के नाम से यह पहचाना जाता है। इसके अलावा पिपलेश्वर मंदिर भी पीपल के पेड़ से पहचाना जाता है।