खेत मालिक या वन विभाग के कर्मचारी इन जानवरों को हांकते हैं लेकिन इन्हें खेतों से दूर करना आसान नहीं होता। इस समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञों के एक दल ने शाजापुर का दौरा कर मैदानी हकीकत जानी थी। अब इन्हीं विशेषज्ञों के सुझाव पर हेलिकॉप्टर से हांकने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर करीब तीन करोड़ रुपए का खर्च आएगा। यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो इंसान और जानवरों के बीच का द्वंद टालने में मदद मिलेगी। इसके लिए साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों की मदद से वन अमले को ट्रेनिंग दी जाएगी।
50 घंटे के लिए हेलिकॉप्टर किराए पर लेने की योजना
दरअसल दुनिया के कई देशों में इस तरह हेलिकॉप्टर से वन्यप्राणियों को रहवासी क्षेत्रों और खेत से दूर किया जाता है। चीता प्रोजेक्ट से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि उनके देश में वन्यप्राणियों को हांकने के लिए हेलिकॉप्टर का उपयोग किया जाता है। उन्होंने 50 घंटे के लिए हेलिकॉप्टर किराए पर लेने की योजना बताई है। इसके लिए प्रशिक्षित पायलट साउथ अफ्रीका से ही बुलाए जाएंगे।
गांधी सागर और ओंकारेश्वर में छोड़ेंगे शाकाहारी वन्यप्राणी
वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ जेएस चौहान के अनुसार पायलट और विशेषज्ञ गांव के पास आने वाले वन्यप्राणियों को हांककर खेतों से दूर ले जाएंगे। फिर रेस्क्यू वाहनों से इन्हें जंगल में शिफ्ट करेंगे। गांधी सागर और ओंकारेश्वर में शाकाहारी वन्यप्राणियों के भोजन के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। इन्हें यहां भी शिफ्ट कर सकते हैं।