आंगनबाडिय़ों में अभी तक किसी बच्चे के पॉजिटिव होने की रिपोर्ट नहीं आई है। लेकिन बढ़ती संक्रमण दर को देखते हुए ये फैसला किया है। आंगनबाड़ी केंद्र कार्यकर्ताओं के लिए खुलेंगे, बच्चों को पहले की व्यवस्था में रेडी टू ईट उपलब्ध कराया जाएगा। शनिवार रात की रिपोर्ट में संक्रमण की दर 15 फीसदी को छू गई है।
इधर राहत ये है कि वैक्सीनेशन का ही असर है कि तीसरी लहर में वायरस उतना असर नहीं दिखा रहा जितना दूसरी में था। इसी का परिणाम है कि होम आइसोलेशन में रह रहे ३852 पॉजिटिव मरीजों में 95 फीसदी तो ऐसे हैं जिनको कोई लक्षण ही नहीं है। वहीं 175 मरीज ऐसे हैं जो अस्पतालों में भर्तीं हैं, इनमें से किसी को न तो ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी न ही किसी प्रकार के इंजेक्शन की। इस बार तो सिटी स्कैन तक की जरूरत महसूस नहीं हो रही।
जानकार बताते हैं कि भारत में कोई भी महामारी हो वह तीसरी लहर में कमजोर हो ही जाती है। इस बार अस्पताल खाली हैं और होम आइसोलेशन भरा हुआ है। डॉक्टर भी मानते हैं कि अब न तो मरीज को ऑक्सीजन की समस्या हो रही है, न पल्स रेट में कोई परेशानी।
दवा किट की डिमांड भी कम
इस बार पॉजिटिव रेट ज्यादा होने के बाद दवा किट की डिमांड भी उतनी नहीं आ रही। अवधपुरी निवासी दौलत राम पॉजिटिव होने के बाद होम आइसोलेशन में रह रहे हैं। इनके पास दवा की किट पहुंची तो ये कहकर वापस कर दी कि जरूरत नहीं है ले जाओ। ऐसे एक नहीं कई लोग हैं जो दवा लेने से ही मना कर रहे हैं।
इस बार पॉजिटिव रेट ज्यादा होने के बाद दवा किट की डिमांड भी उतनी नहीं आ रही। अवधपुरी निवासी दौलत राम पॉजिटिव होने के बाद होम आइसोलेशन में रह रहे हैं। इनके पास दवा की किट पहुंची तो ये कहकर वापस कर दी कि जरूरत नहीं है ले जाओ। ऐसे एक नहीं कई लोग हैं जो दवा लेने से ही मना कर रहे हैं।
सात दिन में खत्म हो रहा आइसोलेशन
इस बार कोविड गाइडलाइन में बदलाव के कारण सात दिन में खुद की होम आइसोलेशन खत्म हो जा रहा है। जिनका सैंपल लिया जाता उनमें से भी नब्बे फीसदी निगेटिव ही निकल रहे हैं।
इस बार कोविड गाइडलाइन में बदलाव के कारण सात दिन में खुद की होम आइसोलेशन खत्म हो जा रहा है। जिनका सैंपल लिया जाता उनमें से भी नब्बे फीसदी निगेटिव ही निकल रहे हैं।