भोपाल

इस शख्स ने ही अमिताभ बच्चन को कहा था ‘सदी का महानायक’

50 साल पहले जब अमिताभ की फिल्म दिवार रिलीज हुई थी तब भोपाल के एक शख्स ने कही थी यह बात…।

भोपालDec 30, 2019 / 01:07 pm

Manish Gite

भोपाल। अमिताभ बच्चन ( Amitabh Bachchan ) को हाल ही में सबसे बड़ा सम्मान मिला है। उन्हें दादा साहब फालके पुरस्कार ( dada saheb phalke award ) से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( ramnath kovind ) ने नवाजा है। दुनियाभर में अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक भी बोला जाता है। लेकिन, कम ही लोग जानते हैं कि यह उपमा उन्हें किसने दी थी। भोपाल के एक शख्स ने ही उन्हें यह उपमा दी थी।

50 साल पहले कही थी यह बात
अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक पचास साल पहले ही कह दिया गया था। बात 70 के दशक की है जब अमिताभ बच्चन की फिल्म हिट होना शुरू ही हुई थी और जब उनकी फिल्म दिवार भोपाल में रिलीज हुई तो इस फिल्म में अमिताभ की एक्टिंग, किरदार और हाव-भाव देखकर कह दिया था यह व्यक्ति आगे चलकर ‘सदी का महानायक’ बनेगा। कवि दुष्यंत कुमार ने अमिताभ की कला को पहचान लिया था। उन्होंने उनकी एक्टिंग से प्रभावित होकर एक पत्र प्रिय अमित कहकर लिखा।

 

patrika.com कवि दुष्यंत कुमार की पुण्य तिथि के मौके पर आपको बता रहा है उस पत्र के बारे में जो आज भी भोपाल के संग्रहालय में सुरक्षित रखा है…।

कवि दुष्यंत कुमार का वो पत्र आज भी भोपाल के साढ़े छह नंबर बस स्टाप के पास स्थित दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में सुरक्षित रखा है। अमिताभ बच्चन और हरिवंशराय बच्चन के भी पत्र रखे होने के कारण यह संग्रहालय की शान बढ़ाते हैं। जया बच्चन का मायका भोपाल में होने के कारण वे अक्सर भोपाल आती हैं और संग्रहालय भी आती हैं। कई बार उन्हें दुष्यंत कुमार के पत्रों का अवलोकन करते देखा जा सकता है।

 

अमिताभ की जमकर की थी सराहना
दुष्यंत कुमार अपनी कविताओं से काफी सुर्खियों में आ गए थे, लोग उन्हें जानने लगे थे। उन्होंने बच्चन को लिखे पत्र में उनके किरदार की जमकर तारीफ की थी। इसमें लिखा था कि अमित का अभिनय इतना अच्छा था कि ऐसा लगा ही नहीं कि वे अभिनय कर रहे हैं। उन्होंने अपना किरदार काफी आत्म विश्वास के साथ निभाया। उनके अभिनय की जितनी भी सराहना की जाए कम ही है। उन्होंने अपने पत्र में अमित के लिए ‘सदी के महानायक’ कहलाने का भाव व्यक्त किया था।

 

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बच्चन परिवार से थे रिश्ते
दुष्यंत ने अपने पत्र में अमिताभ की तुलना उस जमाने के स्टार शशि कपूर और शत्रुघ्न से भी की थी। उन्होंने कहा था कि शशि कपूर जैसा स्टार भी अमिताभ के आगे छोटा दिख रहा था। उन्होंने बच्चन के साथ इलाहाबाद में बिताए दिनों की याद दिलाते हुए लिखा था कि वे हिन्दी के महान कवि हरिवंशराय बच्चन के घर अक्सर जाते थे। दिल्ली के बंगले पर भी कई बार जाते थे, उस समय पता नहीं था कि हरिवंश राय बच्चन का बेटा इतने बड़े मुकाम पर पहुंच जाएगा और उन्हें एक यह पत्र लिखना पड़ेगा।

 

संग्रहालय में हैं बाबूजी के 50 पत्र
दुष्यंत ने अमित को यह पत्र स्वयं के हाथों से लिखा था, जिसे टाइप कराकर अमिताभ बच्चन को भेजा गया था। इसके अलावा संग्रहालयमें हरिवंश राय बच्चन के हाथों से लिखे 50 पत्र भी मौजूद हैं। इन्हीं पत्रों को देखने के लिए कई बार जया बच्चन भी संग्रहालय आ चुकी हैं। बताया जाता है कि हरिवंश राय बच्चन और दुष्यंत अच्छे मित्र भी थे।

 

आकाशवाणी में करते थे नौकरी
दुष्यंत जन्म उत्तरप्रदेश के बिजनौर के पास राजपुर नवादा गांव में एक सितम्बर 1933 को हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भोपाल पहुंच गए। उनकी भोपाल आकाशवाणी में नौकरी लग गई। वे यहां असिस्टेंट प्रोड्यूसर बन गए थे। दुष्यंत की दोस्ती कमलेश्वर, मार्कण्डेय से भी थी। बाद में वे कमलेश्वर दुष्यंत के समधी बन गए। दुष्यंत बेहद मनमौजी और सहज स्वभाव के थे।

 

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बड़े शायरों में बना ली थी जगह
दुष्यंत कुमार ने जिस समय साहित्य की दुनिया में कदम रखा उस समय भोपाल में दो शायरों ताज भोपाली और क़ैफ़ भोपाली का राज था। वे गजल की दुनिया में सिरमौर थे। हिन्दी में भी उस समय अज्ञेय और गजानन माधव मुक्तिबोध की कठिन कविताओं का दौर था। उस समय आम आदमी के लिए नागार्जुन और धूमिल ही शेष थे। यही वह दौर था जब मात्र 42 साल के जीवन में दुष्यंत कुमार ने जो प्रसिद्धि अर्जित की, उसे आज भी लोग याद करते हैं। दुष्यंत ने कविता, गीत, गज़ल, काव्य नाटक, कथा आदि विधाओं में लेखन किया, लेकिन गजलों की लोकप्रियता ने अन्य विधाओं को अलग-थलग कर दिया। प्रिय अमित लिखकर पत्र भेजने वाले दुष्यंत का 30 दिसंबर 1975 में भोपाल में निधन हो गया था।

 

आज भी फेमस है यह कविता

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

ये कविताएं भी हैं चर्चित
दुष्यंत ने एक कंठ विषपायी , सूर्य का स्वागत , आवाज़ों के घेरे , जलते हुए वन का बसंत , छोटे-छोटे सवाल आदि किताबों का सृजन किया था।

 

https://twitter.com/priyankagandhi/status/1211503420873379842?ref_src=twsrc%5Etfw
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी दुष्यंत की एक कविता ट्विटर पर शेयर कर उन्हें याद किया। इनके अलावा भी कई लोगों ने दुष्यंत को श्रद्धांजलि दी है।

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