इसके तहत दो कार्ड बनाए जाएंगे, जिसमें जानकारी फीड होगी। शादी से पहले लड़का और लड़की के कार्डों को मिलाकर पता लगाया जा सकेगा कि उनकी शादी के बाद होने वाली संतान एनीमिया से पीड़ित होगी या नहीं। वर्तमान में HPLC मशीन से जांच की जाती है जिसकी रिपोर्ट प्राप्त करने में 25 से 30 मिनट लगते हैँ।
यह बीमारी आदिवासियों में बहुतायत में पाई जाती है. इस जन्मजात बीमारी सिकल सेल एनीमिया से बचने के लिए जनजातीय गौरव दिवस पर कार्ड भी बांटे जाएंगे। प्रधानमंत्री झाबुआ और आलीराजपुर के आदिवासियों को भोपाल के डा. दंपत्ति द्वारा तैयार किए गए ये कार्ड देंगे। बीमारी का पता लगाने दोनों जिलों में साढ़े आठ लाख आबादी के परीक्षण का पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) का अनुमान है कि 33 प्रतिशत आदिवासी आबादी इस बीमारी से पीडि़त होती है। प्रदेश में 48 लाख लोगों के इसके चपेट में होने का अनुमान है। खास बात यह है कि यह कार्ड लोगों के लिए बहुपयोगी साबित होगा क्योंकि इस कार्ड से थैलेसीमिया का पता भी लग सकता है।