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भोपाल

अकबर के पास थे हजारों चीते, राजा-रजवाड़ों-अंग्रेजों ने भी पाले

चीतों को पालतू बनाकर करवाते थे शिकार
 

भोपालSep 17, 2022 / 10:56 am

deepak deewan

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चीतों को पालतू बनाकर करवाते थे शिकार

भोपाल. चीता, शेर और बाघ की तुलना में कम हिंसक होता है। इसलिए इन्हें पालतू बनाकर हिरण समेत अन्य शाकाहारी जानवरों का शिकार करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था। चीता पालने की जानकारी संस्कृत ग्रंथ मनसोल्लास में भी मिलती है। चीते छठवीं शताब्दी के बाद से पाले जाने लगे थे। फिर यह सिलसिला मध्यकालीन भारत में भी जारी रहा। अकबर की शिकारगाह में हजारों चीते थे। राजा-रजवाड़ों-अंग्रेजों ने भी चीते पाले. एशियाई चीते ईरान, मध्य एशिया में अफगानिस्तान से लेकर भारत तक पाए जाते थे।
जहांगीर ने अपनी बायोग्राफी तुजुक.ए.जहांगीरी में भी चीतों का जिक्र किया – मुगल शासक अकबर की शिकारगाह में तो हजारों चीते थे। हालांकि इनकी संख्या अलग-अलग बताई जाती रही है। कोई यह संख्या 9 हजार कहता है, तो कोई कहता है कि अकबर के पास पूरे 7 हजार चीते थे। प्रशिक्षित चीतों से हिरण आदि का शिकार कराया जाता था। वर्ष 1613 में जहांगीर ने अपनी बायोग्राफी तुजुक.ए.जहांगीरी में भी चीतों का जिक्र किया है।
भारत में मध्यप्रदेश और राजस्थान से लेकर पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश और गुजरात के जंगलों में चीते पाए जाते थे- एशियाई चीते ईरान, मध्य एशिया में अफगानिस्तान से लेकर भारत तक पाए जाते थे। भारत में चीते मध्यप्रदेश और राजस्थान से लेकर पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश और गुजरात के जंगलों में पाए जाते थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती गई और आखिरकार ये देश से ही लुप्त हो गए.

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