इस फ्लाई पास्ट में लड़ाकू विमान एसयू-30, मिराज 2000, जगुआर, MIG 29, एलसीए तेजस, हॉक्स, हेलीकॉप्टर चिनूक, एमआई-17 वी5, चेतक, एएलएच और परिवहन विमान सी130 और आईएल 78 शामिल होंगे। सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम, सारंग हेलीकॉप्टर डिस्प्ले टीम और आकाश गंगा टीमें भी कार्यक्रम में प्रदर्शन करेंगी। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं एसयू-30, मिराज 2000, जगुआर, MIG 29 आदि लड़ाकू विमानों की ऐसी खास बातें, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे…
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है भारत की वायु सेना। आपको बताते चलें कि हर साल 8 अक्टूबर के दिन इंडियन एयर फोर्स डे मनाया जाता है। इसी उपलक्ष्य में मप्र की राजधानी भोपाल में 30 सितंबर को 7 दिन पहले ही एयर फोर्स के जांबाज हैरतअंगेज करतब दिखाएंगे।
मिराज 2000
– भारत के पास लगभग 1720 एयरक्राफ्ट हैं, जबकि भारत की वायुसेना के बेड़े में लगभग 49 मिराज लड़ाकू विमान हैं।
– डसॉल्ट मिराज 2000 एक फ्रांसीसी मल्टीरोल, डबल-इंजन चौथी पीढ़ी का जेट फाइटर है, जो डसॉल्ट एविएशन ने बनाया था।
– इसे 1970 के अंत में फ्रांसीसी वायु सेना के लिए मिराज ढ्ढढ्ढढ्ढ को रिप्लेस करने के लिए एक हल्के लड़ाकू विमान के रूप में डिजाइन किया गया था।
– फ्रांस के इस सामरिक, मल्टीरोल फाइटर या बॉम्बर को कम ऊंचाई के साथ तेज गति से करने के लिए दुश्मन के भीतरी ठिकानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
– जब यह पूरी तरह से लोड हो जाता है तो यह 30 मिमी रॉकेट, कई अलग-अलग प्रकार की मिसाइलें और लेजर-गाइडेड बम ले जाता है। मिराज 2000 को सबसे कुशल और प्रभावी तरीके से अधिकतम नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया गया है।
– इसको बनाने वाला देश फ़्रांस है और इसकी पहली उड़ान 10 मार्च 1978 को भारी गई थी।
– मिराज 2000 की अधिकतम गति 2,000 किमी या 1243 मील प्रति घंटे है।
– फ्रांसीसी वायु सेना, भारत की वायुसेना, ब्राज़ील, कतर, पेरू, संयुक्त अरब अमीरात वायु सेना, रिपब्लिक ऑफ चाइना एयर फोर्स (ताइवान) आदि देशों में ये इस्तेमाल किया जाता है।
– अब तक ऐसे लगभग 601 जेट बने हैं।
– एक विमान की लागत लगभग 30 मिलियन डॉलर आंकी जाती है।
– मिराज के कई वेरिएंट बनाए जा चुके हैं, 1. मिराज 2000 C, 2. मिराज 2000 B, 3. मिराज 2000 N, 4. मिराज 2000 D, 5. मिराज 2000-5F, 6. मिराज 2000 E
– किसी भी विमान को उड़ान भरने के लिए ज्यादा रनवे की जरुरत पड़ती है लेकिन, मिराज 2000 की यह विशेषता है कि यह बहुत कम अर्थात लगभग 400 मीटर या इससे कम के रनवे से भी उडान भर सकता है।
– मिराज 2000 की एक बहुत बड़ी खासियत है कि यह 2000 किमी प्रति घंटा की उड़ान भरने के दौरान भी ड्राइवर की आवाज से नियंत्रित किया जा सकता है। यानि प्लेन की कार्यक्षमता का एक बड़ा हिस्सा वॉइस कमांड के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है जिसे आर्ट वॉयस रिकग्निशन सॉफ़्टवेयर के माध्यम से चलाया जाता है।
सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। एमकेआई का पूरा नाम मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि है यानि आधुनिक व्यावसायिक भारतीय विमान।
जगुआर की खासियत
– जगुआर के डिजाइन की खासियत यह है कि इसके हाई-विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से कम-ऊंचाई पर एक स्थिर उड़ान और जंगी हथियारों को ले जाने में सहूलियत होती है।
– विमान के कंधों पर स्थित पंखों से इसे शानदार ग्राउंड क्लीयरेंस मिलता है और जमीन पर हमला करने की विमान की खासियत के मुताबिक है।
– जगुआर जीआर 1 ए का निर्माण 1973 में फ्रांस में किया गया।
– यह अभी भी इस्तेमाल में लाया जाता है लेकिन इसकी सेवाएं सीमित हैं।
– यह एक लड़ाकू विमान है। इसका निर्माण फ्रांस, बिट्रेन में बीईए और भारत में एचएएल करता है।
– जगुआर एक सीट वाला विमान है।
– विमान 55.22 फीट लंबा और 28.51 फीट चौड़ा और 16.04 फीट ऊंचा है।
– एक खाली जगुआर विमान का वजन 7700 किलोग्राम है।
– विमान 1700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।
– इसकी हथियार क्षमता 30 एमएम के दो एडीईएन या डीईएफए गोले है।
– इसके अलावा साढ़े चार हजार किलोग्राम वजन तक के हवा से हवा में हमला करने वाले और हवा से जमीन पर हमला करने वाले रॉकेट समेत कई तरह के हथियार इसमें लोड हो सकते
हैं।
– इक्वाडर, फ्रांस, भारत, नाइजीरिया, ओमान, ब्रिटेन इसके संचालक देश हैं।
ये भी पढ़ें : Weather Update : फिर एक्टिव हुआ नया सिस्टम, अगले 24 घंटे में इन 10 शहरों में भारी बारिश ALERT
ये भी पढ़ें : पितृ पक्ष शुरू, क्या श्राद्ध के इन 15 दिनों में कर सकते हैं खरीदारी? VIDEO