दरअसल, 25 साल के पंकज, करीब चार साल से साइटिका से पीडि़त थे। उनकी बीमारी इतनी गंभीर हो चुकी थी कि बीते छह माह से चलना फिरना तक बंद हो गया था। उन्हें कमर से लेकर पैर और पंजे में भी असहनीय दर्द होता था। जांच कराने पर पता चला कि कमर के हिस्से में मौजूद एक नस स्पाइनल कॉर्ड से दब रही है। डॉक्टरों का कहना था कि इससे निजाद पाने के लिए मेजर ऑपरेशन के जरिए स्पाइनल कॉर्ड के उस हिस्से को हटाना पड़ेगा। कई अस्पतालों में दिखाने के बाद भी जब पंकज को दर्द से राहत नहीं मिली जो उन्होंने एम्स के इंटरवेंशनल पेन क्लीनिक में संपर्क किया। ऑपरेशन के बाद पंकज को उसी दिन डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया।
बेहोश तक नहीं करना पड़ा
पेन मैनेजमेंट एक्सपर्ट डॉ. अनुज जैन ने बताया कि आमतौर पर साइटिका के इलाज के लिए बड़ा सा चीरा लगाते हैं। इसमें मरीज को बेहोश करना पड़ता है और रिकवरी भी बहुत देर से होती है। वहीं एंडोस्कोपिक डिस्केक्टमी में रोबोटिक आर्म की सहायता से मरीज को उस हिस्से में इंजेक्शन दिया जाता है जहां से इस बीमारी की शुरुआत हुई है। इस दौरान मरीज को बेहोश करने की जरूरत भी नहीं पड़ी बल्कि ऑपरेशन के दौरान उससे बात करते रहे ताकि ऑपरेशन का पता भी ना चले। उन्होंने बताया कि इस तरह के उपचार की सुविधा मध्य भारत में फिलहाल कहीं नहीं है।
पेन मैनेजमेंट एक्सपर्ट डॉ. अनुज जैन ने बताया कि आमतौर पर साइटिका के इलाज के लिए बड़ा सा चीरा लगाते हैं। इसमें मरीज को बेहोश करना पड़ता है और रिकवरी भी बहुत देर से होती है। वहीं एंडोस्कोपिक डिस्केक्टमी में रोबोटिक आर्म की सहायता से मरीज को उस हिस्से में इंजेक्शन दिया जाता है जहां से इस बीमारी की शुरुआत हुई है। इस दौरान मरीज को बेहोश करने की जरूरत भी नहीं पड़ी बल्कि ऑपरेशन के दौरान उससे बात करते रहे ताकि ऑपरेशन का पता भी ना चले। उन्होंने बताया कि इस तरह के उपचार की सुविधा मध्य भारत में फिलहाल कहीं नहीं है।
क्या है एंडोस्कोपिक डिस्केक्टमी
एंडोस्कोपिक डिस्केक्टमी को स्टिचलेस स्पाइन सर्जरी भी कहा जाता है। इसमें एक रोबोटिक आर्म की मदद से मरीज की कमर में निडिल से छेद कर दूरबीन की मदद से खराब ***** की पहचान कर उसका उपचार किया जाता है। इस पद्धति की सबसे खास बात यह है कि मरीज एक दिन बाद ही पैरों पर चलकर घर चला जाता है।
एंडोस्कोपिक डिस्केक्टमी को स्टिचलेस स्पाइन सर्जरी भी कहा जाता है। इसमें एक रोबोटिक आर्म की मदद से मरीज की कमर में निडिल से छेद कर दूरबीन की मदद से खराब ***** की पहचान कर उसका उपचार किया जाता है। इस पद्धति की सबसे खास बात यह है कि मरीज एक दिन बाद ही पैरों पर चलकर घर चला जाता है।
पैरों में करंट लगता है साइटिका में
सायाटिका नर्व रीढ़ से निकलने वाली स्पाइनल नर्व से मिलकर बनती है। यह पैर की मांसपेशियों को कंट्रोल करती है और पैरों में दर्द, छूना, तापमान, कंपन संबंधी सूचना स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंचाती है। इससे जुडऩे वाली स्पाइनल नर्व पर किसी प्रकार का दबाव आता है तो इससे कमर में दर्द होता है जो कि पैर में करंट की तरह महसूस होता है इसे आम बोलचाल में साइटिका कहते हैं। इसमे रोगी को पैर से लेकर कमर तक तेज दर्द होता है।
सायाटिका नर्व रीढ़ से निकलने वाली स्पाइनल नर्व से मिलकर बनती है। यह पैर की मांसपेशियों को कंट्रोल करती है और पैरों में दर्द, छूना, तापमान, कंपन संबंधी सूचना स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंचाती है। इससे जुडऩे वाली स्पाइनल नर्व पर किसी प्रकार का दबाव आता है तो इससे कमर में दर्द होता है जो कि पैर में करंट की तरह महसूस होता है इसे आम बोलचाल में साइटिका कहते हैं। इसमे रोगी को पैर से लेकर कमर तक तेज दर्द होता है।
साइटिका के लक्षण – कमर मे लगातार दर्द रहना
– एक पैर में सुन्नपन रहना – दर्द के कुछ दिन बाद पंजे में कमजोरी आना
– एक पैर में पंजे तक दर्द जाना – पेशाब करने में तकलीफ होना
– एक पैर में सुन्नपन रहना – दर्द के कुछ दिन बाद पंजे में कमजोरी आना
– एक पैर में पंजे तक दर्द जाना – पेशाब करने में तकलीफ होना