लगातार बढ़ रही मरीजों के कारण एम्स भोपाल में सभी बेड लगभग भरे रहते हैं। जिसको देखते हुए 70 नए इमरजेंसी बेड जोड़े जा रहे हैं। ऐसे में अब इमरजेंसी मरीजों के लिए 210 बेड होंगे। इसके लिए जरूरी नए स्टाफ की ज्वाइन भी जारी है। यूनिट में आधुनिक उपकरण भी लगाए जा रहे हैं। सभी व्यवस्थाएं होने के बाद इसे एपेक्स ट्रॉमा सेंटर नाम दिया जाएगा। जिसके बाद यह देश के उन गिने चुने संस्थानों में आ जाएगा, जिनके पास इतनी बड़ी ट्रॉमा यूनिट मौजूद है। वहीं प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिट होगी।
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रैफरल है बड़ी समस्या
अक्सर जिला अस्पतालों में इमरजेंसी यूनिट में सुविधाएं ना होने के मामले सामने आते हैं। गंभीर रूप से घायल या अन्य गंभीर मरीजों को तत्काल इलाज देने की बजाए एम्स व नजदीकी मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया जाता है। कई बार समय तक इलाज ना मिलने से मरीजों की स्थिति और बिगड़ जाती है। इस साल एम्स व हमीदिया अस्पताल प्रबंध जिला अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों से रैफर होकर आने वाले सामान्य मरीजों की अधिक संख्या पर चिंता जताई थी।
आईसीएमआर की पहल, मरीजों को जल्द मिले इलाज
आईसीएमआर ने प्रदेश के जिला अस्पतालों में ट्रॉमा एवं इमरजेंसी सुविधाओं को सुधारेगा। इसके लिए एम्स भोपाल को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसके तहत एम्स की टीम सभी जिला अस्पतालों की इमरजेंसी यूनिट में मौजूद सुविधाओं का आंकलन करेगा। इसके लिए एम्स को डेढ़ करोड़ रुपए फंड मिला है।