खास बात ये है कि प्रदेशभर में इन सायबर तहसीलों के खुलने पर एग्रीकल्चर लैंड की रजिस्ट्री कराने के बाद संबंधित रजिस्ट्री मालिक का नामांतरण 15 दिन के भीतर खुद ब खुद ऑनलाइन हो जाएगा। यानी प्रदेश के किसी भी जिले में कृषि भूमि की बगैर बंटान वाली रजिस्ट्री होते ही 15 दिन में अपने आप नामांतरण होगा। इससे अब रजिस्ट्री धारक को नामांतरण कराने के लिए अलग से विभागों के चक्कर नहीं काटना पड़ेंगे।
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मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता में हुआ बदलाव
गौरतलब है कि, साइबर तहसील की व्यवस्था सभी जिलों में लागू होने के बाद राजधानी भोपाल के प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय में बदलाव होगा। यहां स्थापित साइबर तहसील में 15 तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों की जरूरत होगी। पहली बार में 7 तहसीलदारों के कार्य क्षेत्रों को संलग्न कर साइबर तहसील की व्यवस्था लागू की गई थी। शुरुआत में 12 जिलों में इसे लागू किया गया था। बताया जाता है कि साइबर तहसील की व्यवस्था के लिए राजस्व विभाग ने मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन कर धारा 13-क में साइबर तहसील स्थापना के प्रावधान किए हैं।
साइबर तहसील को 4 अलग-अलग प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया
साइबर तहसील परियोजना के तहत इन्हें सबसे पहले सीहोर, दतिया, इंदौर, सागर, डिंडौरी, हरदा, ग्वालियर, आगर-मालवा, श्योपुर, बैतूल, विदिशा और उमरिया में शुरू किया गया था। इन साइबर तहसीलों के लिए 4 सॉफ्टवेयर को इंटीग्रेड किया जा रहा है। इनके इंटीग्रेड होने के बाद नई व्यवस्था सही ढंग से काम करने लगेगी। साइबर तहसील में पंजीयन से नामांतरण तक की प्रकिया लागू है। साइबर तहसील को 4 अलग-अलग प्लेटफॉर्म जैसे संपदा पोर्टल, भूलेख पोर्टल, स्मार्ट एप्लीकेशन फॉर रेवेन्यू एप्लीकेशन (SARA) पोर्टल और रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (RCMS) पोर्टल से जोड़ दिया गया है।