शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत अभी तक 8850 लीगल सैम्पल लिए जा चुके हैं। इसमें दूध, पनीर, घी, तेल, सोया ऑयल, रिफाइंड, बादाम तेल, आटा, दाल, पानीपूरी, नमकीन, रेस्टोंरेंट से लिए गए खाद्य पदार्थों के सैम्पल, गुटखा फैक्ट्री, बर्फ फैक्ट्री, आइसक्रीम, पैक्ड जूस, फल, सब्जी आदी के सैम्पल ऐसे कॉमन सैम्पल माने जाते हैं जिसमें जांच रिपोर्ट जल्दी मिल जाती है। सूखे मसाले, बेसन, गेहूं, ज्वार, बाजरा व अन्य खड़े अनाज, मसाले, फल, सब्जी के सैम्पलों की रिपोर्ट अक्सर अटक जाती है। कई बार सैम्पल सही तरीके से न लेने पर भी रिजेक्ट हो जाता है।
असुरक्षित सैम्पलों की संख्या 151 पहुंची
प्रदेश में अब यूरिया, रिफाइंड से बने मावा, दूध के सैम्पल फेल होने का रेशियों तीन गुना बढ़ा है। पहले जिले में पांच या छह सैम्पल ही असुरक्षित होते थे। लेकिन अब प्रदेश भर से आने वाले सैम्पलों की जांच के ये संख्या बढ़कर 151 के करीब हो गई है। भोपाल में ही अब तक असुरक्षित सैम्पलों के मामले में आधा दर्जन कारोबारियों पर एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।
जब मैंने ज्वाइन किया था उस समय आठ हजार सैम्पलों की पेंडेंसी थी। हमनें काफी तेजी से जांच कर इसे कम किया है। ये बात यही है कि अभी तीन हजार की पेंडेंसी हैं। आगे चलकर इसे हम शून्य कर देंगे।
अभिषेक दुबे, ज्वाइंट कंट्रोलर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन