राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों में आइएएस आफिसरों की नियुक्ति के प्रस्ताव का विरोध हो रहा है। सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में गांधी मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों ने विरोध व्यक्त किया। उनका कहना है कि ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति की जरूरत ही नहीं है। मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय कहते हैं कि प्रदेश के 13 मेडिकल कालेज में ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्त करने के प्रस्ताव के विरोध में हम एकत्र हुए हैं।
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डॉ. मालवीय ने बताया कि ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति के सभी विपरीत प्रभाव मेडिकल कॉलेजों पर असर पड़ेंगे। क्योंकि जितने भी प्रशासकीय कार्य उन ब्यूरोक्रेट्स को दिए जाने का शासन का प्रस्ताव है तो वो इसका अनुभव नहीं रखते हैं। क्योंकि मेडिकल कॉलेजों में जो भी प्रशासनिक कार्य होते हैं वो मरीजों की देखरेख से संबंधित, मरीजों की खानपान से संबंधित, छात्रों के पठन पाठन से संबंधित और कार्यरत चिकित्सकों से संबंधित होते हैं। और इन सबके लिए चिकित्सकीय अनुभव की जरूरत होती है। जो भी किसी भी डिप्टी कलेक्टर या एसडीएम के पास नहीं होता है। इसलिए उनके आने से न सिर्फ व्यवस्थाएं खराब होंगी बल्कि छिन्न-भिन्न होंगी।
डीन के अधिकारों पर प्रभाव पड़ने की बात पर डा. मालवीय ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के जो डीन होते हैं, उनके पास समस्त प्रशासकीय अधिकार होते हैं। उन्हें 20-25 साल का मेडिकल कालेजों में काम करने का अनुभव होता है। उनके अधिकारों के आधार पर ही उन्हें नेतृत्व दिया जाता है। जो प्रशासकीय अधिकारी आते हैं, वो वल्लभ भवन,कलेक्टर-कमिश्रन, राजस्व, खसरा, जमीन आदि के लिए होती है। इसलिए हेल्थ सिस्टम में इलाज के लिए, पढ़ने-पढ़ाने के लिए जहां तुरंत ही चिकित्सकीय निर्णय लेना पड़ता है। इसलिए यह काम सामान्य एसडीएम या दूसरे ब्यूरोक्रेट्स नहीं कर पाएंगे। इसलिए यहां की व्यवस्था यहां के डीन, अधिष्ठाता या सुपरीटेंडेंट के पास ही रहना चाहिए।
3500 से अधिक शिक्षक-डॉक्टर हड़ताल पर
भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज समेत प्रदेश के 13 मेडिकल कालेजों में मंगलवार को काला दिवस मनाया जाएगा। यदि किसी आइएएस, एसएएस आदि ब्यूरोक्रेट्स को नियुक्त करने का प्रस्ताव पास होता है तो पूरे प्रदेश के साढ़े तीन हजार से अधिक चिकित्सक हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान कई अस्पतालों की ओपीडी भी बंद रहेगी।