भोपाल

आईआईटी-आईआईएम प्रोफेशनल बनें शंकरदूत, 5 हजार अतिथियों के प्रबंधन की संभाल रहे जिम्मेदारी

ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट की बहुधाता प्रतिमा के अनावरण समारोह में 5 हजार से ज्यादा अतिथि आएंगे। इसमें चारों मठों के शंकराचार्य सहित कई वीवीआइपी आएंगे।

भोपालSep 19, 2023 / 09:34 pm

hitesh sharma

भोपाल। ओंकारेश्वर के मंधाता पर्वत पर होने वाले कार्यक्रम में आने वाले अतिथियों का मैनेजमेंट शंकरदूत संभाल रहे हैं। इसके लिए भोपाल में श्यामला हिल्स स्थित मप्र जन अभियान परिषद कार्यालय को मुख्यालय बनाया गया है।यहां तीन सौ शंकरदूत मैनेजमेंट संभाल रहे हैं। इनमें आइआइटी-आइआइएम से पासआउट प्रोफेशनल भी शामिल हैं। वे भगवा चौला धारण कर इन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पिछले दस दिनों से मोर्चा संभाल हुए हैं। ये शंकरदूत देशभर से आए हैं।

23 हजार ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया

प्रतिमा निर्माण से पूरे प्रदेश के जोड़ने के लिए प्रदेश की 23 हजार पंचायतों से कॉपर, टिन, जिंक व अन्य धातुएं शंकराचार्य की प्रतिमा निर्माण के लिए जुटाई गई। इससे कलश, मिट्टी और जल भी लाया गया। मूर्ति पर प्रो यूरो कलर होने से बारिश और धूप का कोई प्रभाव नहीं होगा। एकात्म यात्रा 51 जिलों के 241 विकासखंडों से गुजरी। वहीं, देश के 13 राज्यों में 23 दिनों में 12 हजार किलोमीटर का सफर तय किया।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x8o5prp

इसलिए चुना गया बाल स्वरूप

दुनिया में अद्वैत वेदांत के संस्थानों, मंदिरों और गुरुकुलों में शंकराचार्य की जो मूर्तियों और चित्रों हैं, उनमें शंकराचार्य युवा ही दिखाई देते हैं। ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की मूर्ति के लिए उनके बाल स्वरूप में लेने का निर्णय इसलिए हुआ क्योंकि केरल के कालडी से 8 साल की आयु में शंकर यहां आए थे। यहां तीन वर्ष तक अद्वैत वेदांत का अध्ययन किया, जब वे 11 साल के हुए तब आगे की यात्रा यहीं से आरंभ की थी। आदिगुरू के रूप में उनकी प्राण प्रतिष्ठा का केंद्र बिंदु ओंकारेश्वर ही माना गया है।

शंकरदूत बनकर खुद को जाना

माउंट आबू से आए स्वामी समानंद गिरी ने इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग की है। वे कंट्रोल रूम से ही कार्यक्रम की रूपरेखा पर नजर बनाए हुए हैं। कौन संत कहां से आएगा और कार्यक्रम स्थल पर कैसे पहुंचेगा, वे खुद लैपटॉप की मदद से इसकी ट्रैकिंग कर रहे हैं। आइआइटी धनबाद से पढ़े प्रवीण पोरवाल का कहना है कि शंकरदूत बनकर मैंने खुद को जाना। मार्च में हिमाचल प्रदेश में मैंने अद्वैत युवा शिविर किया था। वहां तत्व बोध को जाना। अभी छुट्टी लेकर आया हूं।

Hindi News / Bhopal / आईआईटी-आईआईएम प्रोफेशनल बनें शंकरदूत, 5 हजार अतिथियों के प्रबंधन की संभाल रहे जिम्मेदारी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.