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पारिवारिक विवाद के एक मामले में मंगलवारा निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग मां रामकुंवर बाई ने दो बेटों एवं बहू के खिलाफ भरण-पोषण का केस लगाया था। बेटों ने एक साल पहले मां को घर से निकाल दिया था, तब से वह मन्दिर में रह रही थीं।
कुटुंब न्यायालय में मां, दोनों बेटों और बहू को बुलाया गया था। बहू को देखते ही मां बोली- जज साहब बहू बहुत पीटती है। यह सुनकर न्यायाधीश भावना साधौ ने कहा घबराओ मत मैं हू न। जज ने पहले बहू को फटकारा, फिर समझाइश दी कि बुजुर्ग सास को अब अपने बच्चे जैसा समझो। इस पर बेटे- बहू ने वृद्ध मां के पैर छुए। मां को साथ रखने और 5 हजार रुपए महीना देने का समझौता हुआ।
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परिवार के साथ पर्यावरण को बचाने की मिली सीख: परिवारिक विवाद के मामलों में वर्षों से अलग रह रहे पति-पत्नी, जजों की समझाइश के बाद साथ रहने को राजी हुए। कुटुम्ब न्यायालय के न्यायाधीश आरएन चन्द की अदालत में समझौते के बाद पति-पत्नी को पौधा सौंपा गया।
जज ने दोनों को बताया कि परिवार- पर्यावरण एक समान है। जैसे पौधा नियमित देखभाल के बाद फलदार बनता है, वैसी परिवारिक रिश्तों में सामन्जस्य बनाने पर परिवार फलता- फूलता है। करोंद निवासी पति- पत्नि ने कोर्ट रूम में एक दूसरे का वरमाला पहनाई व परिवार के साथ पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया।
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1341 मुकदमों में 23 करोड 70 लाख के समझौते
जिला अदालत में 1341 मुकदमों का निराकरण कर 23 करोड 70 लाख के समझौते हुए। जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार वर्मा और रजिस्ट्रार अभिताभ मिश्रा के निर्देशन में लोक अदालत का आयोजन हुआ। मोटर दुर्घटना क्लेम के 172 मामलों में 10 करोड 13 लाख अवार्ड पारित किए गए, चेक बाउंस के 253 मामलों में 52 लाख रूपयेके समझौते हुए, सिविल के 21 मामलों में 51 लाख, बिजली चोरी के 55 मामलों में 12 लाख 54 हजार रूपये पक्षकारों ने जमा कराये। इसके अलावा प्रीलिटिगेशन के 525 मामलों में साढे 15 लाख रूपये के अवार्ड पारित हुए।