उन्होंने दो जुलाई 2017 को पौधरोपण के संबंध में अधिकारियों से विस्तार से जानकारी और दस्तावेज तैयार करने के लिए कहा है। दोनों ही मामलों की फाईल मुख्यमंत्री सचिवालय भेजी जाएगी। मंत्री सिंघार द्वारा कार्य विभाजन किए जाने से नाराज होकर एसीएस श्रीवास्तव दस अक्टूबर को छुट्टी पर चले गए थे। शुक्रवार को वे अवकाश से लौट आए हैं।
भाजपा सरकार ने दो जुलाई 2017 को गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने के लिए प्रदेश में सात करोड़ पौधे एक साथ लगवाए थे। पौधरोपण से लेकर अब तक यह मामला विवादों में रहा। इसक मामले की करीब चार बार जांच की जा चुकी है, जिसमें तमाम तरह की गड़बडिय़ां सामने आई हैं। 10 अक्टूबर को वनमंत्री सिंघार ने मामले में ईओडब्ल्यू को जांच सौंपने की अनुशंसा कर दी।
आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लिखा वन मंत्री ने पौध रोपण घोटाले के मामले में तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है। मामला आईएफएस से जुड़ा होने के कारण इसे मुख्यमंत्री के पास भेजा जा रहा है। वहीं इस पर ये सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि पौध रोपण घोटाले में सीधे तौर पर वन मुख्यालय के मुखिया पर कैसे आरोप लगाए जा सकते हैं
पौधारोपण अभियान का इतिहास तैयार करेंगे अफसर
वनमंत्री सिंघार की नोटशीट पर एसीएस श्रीवास्तव ने वन अफसरों को दो जुलाई 2017 को प्रदेश में किए गए पौधारोपण अभियान का पूरा इतिहास तैयार करने को कहा है। सूत्र बताते हैं कि एसीएस ने अफसरों से यह भी मांगा है कि कितना बजट दिया गया।
किस-किस विभाग को जिम्मेदारी दी गई और पौधारोपण की रणनीति तैयार करने से लेकर अन्य जरूरी जिम्मेदारी किसने निभाई। विभाग के अफसरों को यह जानकारी तैयार करने में दो से चार दिन का समय लगेगा। फिर अभियान के पूरे इतिहास के साथ नोटशीट मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जाएगी।
मैं आज ही आया हूं। जरूरी फाइलें निपटा रहा हूं। अन्य किसी मामले में मुझे कुछ नहीं कहना है।
– एपी श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव, वन