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इंसानियत का पैगाम सीखने आते हैं लोग
सभी को भलाई और इंसानियत के पैगाम के साथ आलमी तब्लीगी इज्तिमा का मुख्य उद्देश्य धर्म की सही शिक्षा देना है। इसके लिए तीन दिन उलेमा की तकरीर और बयान होंगे। इसी के साथ पिछले कई सालों से यहां शादी ब्याह में होने वाली फिजूलखर्ची को रोकने का पैगाम भी दिया जा रहा है। इसके लिए यहां से इज्तिमाई निकाह होते हैं। इस बार ये निकाह आयोजन के पहले ही दिन होंगे। आज के इस दौर में जब लोगों में शादी ब्याह के मौके पर शान ओ शौकत दिखाने की होड़ मची हुई है, जो कई बार फिजूल खर्च ही होता है, जबकि उस रकम से कई जरूरतमंदों का भला किया जा सकता है। इसी कारण इज्तिमाई निकाह की सालों पहले यहां पहल की गई थी। इसी के मद्देनज़र यहां हर साल फ्री में चार-पांच सौ निकाह होते हैं। जो फिजूल खर्ची से बचने का बड़ा संदेश है।
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काजियात में रजिस्ट्रेशन के बाद शामिल होगा नाम
इज्तिमाई निकाह के लिए दूल्हा और दुल्हन पक्ष को पहले काजियात में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद ही उनका नाम सूची में शामिल कर लिया जाता है। इसकी प्रक्रिया अभी जारी है। बता दें कि, इस साल इज्तिमा का ये 72वां आयोजन होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि, इस बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देश-दुनिया से आए करीब 25 लाख से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग शिरकत करने पहुंचेंगे। यहां के इंतजाम और व्यवस्था को बनाने के लिए तेजी से काम शुरु किया गया है। इज्तिमा की व्यवस्थित बनाए रखने के लिए मुस्लिम समुदाय के हज़ारों लोगों के साथ साथ प्रशासन का भी बड़ा योगदान रहता है।