इनमें सबसे ज्यादा नगरीय निकाय ग्वालियर और उज्जैन संभाग के हैं। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने दोनों संभागों के संयुक्त संचालकों पर नाराजगी जाहिर करते हुए पत्र लिखा है। सरकार ने ओडीएफ शहर और स्वच्छता में हिस्सा लेने के लिए सभी नगरीय निकायों को निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए अगल-अलग तरह के मानदंड तय किए गए हैं।
मानदंड पूरा करने लिए सरकार ने सभी निकायों को डेढ़ साल से अधिक का समय दिया था। ओडीएफ सहित अन्य मानदंडों को पूरा करने के संबंध में निकायों ने सरकार को जवाब भी दे दिया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने ओडीएफ मुक्त और स्वच्छता सर्वे कराने के संबंध में उन्हें आवेदन करने के लिए कहा था, लेकिन अभी तक १२1 निकायों ने आवेदन किए। इन निकायों को 30 अक्टूबर तक आवेदन करने के लिए समय दिया गया था।
सबसे आगे इंदौर संभाग
शहर को खुले में शौच मुक्त, स्वच्छता, मल का वैज्ञानिक सहित अन्य का कचरे का वैज्ञानिक तरीके से डिस्पेज का सर्वे कराने के मामले में इंदौर संभाग सबसे आगे है। इस संभाग के 51 निकायों में से 48 निकायों ने सर्वे कराने का आवेदन किया है। जबकि भोपाल संभाग में 60 निकायों में से 18 निकायों ने आवेदन नहीं किया है। भोपाल में 37 निकायों को सर्वे भी कराया जा चुका है। वहीं ग्वालियर और उज्जैन संभाग में 33 और 23 निकायों ने सर्वे के लिए आवेदन नहीं किया है।
दो सीएमओ को नोटिस
पीएस ने मंदसौर जिले के भानपुरा और आगर मालवा जिले के सोयतकलॉ नगर परिषद के सीएमओ को नोटिस जारी किया है। इन अधिकारियों से इस शहर में ओडीएफ नहीं बना पाने के संबंध में कारण भी पूछा है। पीएस ने इन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि शहर को ओडीएफ बनाने के संबंध में विशेष अभियान चलाएं।
इस संबंध में स्थानीय जन प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों का सहयोग लें। जिन क्षेत्रों में झुग्गी बस्ती है वहां सामुदायिक शौचालय तैयार करने करें और लोगों घर में शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित करें।