दरअसल यह दुर्लभ बीमारी है और हजारों बच्चों में से एक को होती है. भारत में तो अभी इसका कोई इलाज तक नहीं है. कुछ जगहों पर विदेशी डॉक्टरों की मदद से इसका इलाज किया जाता है. इस बीमारी का प्रारंभिक इलाज का खर्च ही करीब 2 करोड़ रुपए बताया जाता है. बच्चे की बीमारी के इलाज के लिए अब तक कई लोग आर्थिक मदद भी कर चुके हैं.
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आरुष अपने हमउम्र बच्चों को देखकर अक्सर दुखी हो उठता है. पापा से पूछता है कि मैं कब चल पाऊंगा. चलने की बात सुनकर वह हर दर्द झेलने को तैयार हो जाता है. आरुष रोज पढ़ाई करता है और उसे पेंटिग करना भी पसंद है। डाक्टर्स के अनुसार आरुष को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों की करीब 80 तरह की बीमारियों से सबसे जानलेवा ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) है।