भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रतिबंधित आतंकवादी इस्लामिक संगठन सिमी के जो 8 आतंकी सेंट्रल जेल से भागे, उन पर पिछले एक महीने से कड़ी नजर रखी जा रही थी। पिछले महीने जब इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइल की थी, तब से ही सिमी के आतंकवादियों पर सख्त नजर रखी जा रही थी। आतंकियों के मुलाकात करने और सामान पहुंचाने वालों पर भी निगरानी बरती जा रही थी। मुलाकातियों का फोटो खींचने के बाद पिछला रिकार्ड खंगालने के लिए टीम को मुस्तैद किया गया था। किसी को भी आतंकियों से अकेले में गुफ्तगू की इजाजत नहीं थी। फिर भी इन आतंकी जेल से भागने में कामयाब रहे। खुफिया सूत्रों के अनुसार शहर में स्लीपर सेल की मौजूदगी थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए सिमी के आतंकियों की बैरक को फिर बदला गया था। अब जब भी इन लोगों को बैरक से बाहर निकाला जाता था तो चारों तरफ जवानों का कड़ा पहरा रहता था। एक बार में सिर्फ दो ही लोगों को बैरक से बाहर निकाला जा रहा था। जेल सूत्र आतंकियों के बैरक के बाहर ही जवानों की अस्थाई और एक छोटी चौकी स्थापित की गई थी। जहां 10 जवान हर समय सुरक्षा में मुस्तैद रहते थे। ये है वजह जेल में बंद सिमी आतंकियों से मिलने वाले लोग कौन हैं? उनका संबंधित से क्या रिश्ता है? वह क्यों मिलने आया है? इस तरह के कई सवाल हैं जो आतंकियों से मिलने आने वाले लोगों से किए जाते हैं। खुफिया सूत्रों से पता चला है कि शहर में कई स्लीपर सेल हैं। कहीं कोई इनके संपर्क में तो नहीं है। इसके बाद ही फोटो खींचना अनिवार्य किया है। अति सुरक्षित जेल सवालों में आपको बता दें कि भोपाल की ये सेंट्रल जेल देश की कुछ चुनिंदा अति सुरक्षित जेलों में से एक है। इसका निर्माण दिल्ली की तिहाड़ जेल की तर्ज पर किया गया था और खंडवा से सिमी आतंकियों के भागने की घटना के बाद से सभी सिमी आतंकियों को भोपाल की इस अति सुरक्षित जेल में शिफ्ट किया गया था।