भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सातवें वेतनमान को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी। मध्यप्रदेश में अभी छठा वेतनमान लागू है। केंद्र से सातवें वेतनमान को मंजूरी मिलते ही मध्यप्रदेश में भी इसे लागू करने की मांग उठेगी। इस मांग को पूरी करने के लिए शिवराज सरकार को हजारों करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा। सातवें वेतमनमान को लेकर कई सवाल हैं, जिनके जवाब मुश्किल से मिल पा रहे हैं। आपके सारे सवालों के जवाब पढ़ें इस खबर में… सातवें वेतनमान की कुछ खास बातें… – अगर 7वां वेतन आयोग लागू होता है तो कर्मचारी का पे स्केल कर्मचारी के ड्राउन पे+ग्रेड पे+100 प्रतिशत डीए के अनुसार कैलकुलेट होगा। – सातवें वेतन आयोग में रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन तथा फैमिली में इजाफा होगा। – सातवें वेतन आयोग के अनुसार वार्षिक इंक्रीमेंट 5 प्रतिशत तक होगा। – इस वेतन आयोग के बाद अबर किसी का प्रमोशन होता है तो उसकी आय में दो इंक्रीमेंट के बाराबर का इजाफा होगा। – सातवें वेतन आयोग में व्यक्ति का ओवर टाइम अलाउंस की टोटल बेसिक पे+डीए+पूरा टीए के बराबर होगा। – सातवें वेतन आयोग में ग्रुप सी और डी के स्टाफ का ट्रांसफर नहीं होगा। – सातवें वेतन आयोग में ट्रांसफर के समय अलाउंस में भी इजाफा होगा। – 7वें वेतन आयोग में सभी वर्कर जो की आउट साइड के है उन्हें रेगुलर किया जाएगा तथा उनके पहले 2 साल की सर्विस को छोड़कर उस सर्विस समय को रेगुलर में लिया जाएगा तथा उसी हिसाब से सारी सुविधाएं दी जाएंगी। – सभी कर्मचारियों को हाउसिंग की सुविधा दी जाएगी। इमें 70 प्रतिशत दिल्ली में 40 प्रतिशत अन्य शहरों में दिए जाएंगे। – सातवें वेतन आयोग में ट्रैवल एलाउंस में भी इजाफा होगा। हाउस रेंट अलाउंस में भी इजाफा होगा। – इस आयोग में हॉस्पिटल के कर्मचारियों को पेशंट केयर अलाउंस दिया जाएगा। – 7वें वेतन आयोग में अवकाश में बढ़ोत्तरी होगी। – हॉस्पिटल लीव बढ़ाकर 24 मंथ की जाएगा और इसमें 120 दिन का फुल पेमेंट तथा बाकी का आधा वेतन दिया जाएगा। महिलाओं को विशेष लाभ महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत रिजर्वेशन। पति-पत्नी की पोस्टिंग एक ही जगह पर होगी। क्रॉनिक बीमारी के टाइम एक महीने की स्पेशल छुट्टी दी जाएगी। 7वें वेतन आयोग का राज्यों पर पड़ेगा असर सातवां वेतन आयोग अपनी सिफारिश रिपोर्ट अगले कुछ महीनों में देने वाला है। जिसका असर राज्यों पर भी पडऩे वाला है। यह जानकारी हाल ही में जारी एक रिपोट से निकलकर सामने आई है, क्योंकि राज्यों की राजकोषीय स्थिति को यदि देखा जाए तो इसका असर उनके खजाने पर पड़ेगा जो कि उनकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित करेगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद में पेंशन खर्च की हिस्सेदारी कितनी है जबकि इस पर होने वाले कुल खर्च में कितना राजस्व खर्च होगा। रिपोर्ट के अनुसार पेंशन खर्च का मूल्यांकन राज्यों ने स्वयं किया है जिसकी चर्चा 14वें वित्त आयोग से की है। जिसे नीचे आंकड़ों में चार्ट के जरिए फीसदी में दिखाया गया है।