भोपाल

ऑक्सीजन संकट : 30 अप्रैल तक पड़ेगी 700 टन ऑक्सीजन की जरूरत, जब तक 2 लाख के करीब एक्टिव केस का अनुमान

मध्य प्रदेश पर ऑक्सीजन संकट, पूर्ति करने में जुटी सरकार।

भोपालApr 17, 2021 / 08:56 am

Faiz

ऑक्सीजन संकट : 30 अप्रैल तक पड़ेगी 700 टन ऑक्सीजन की जरूरत, जब तक 2 लाख के करीब एक्टिव केस का अनुमान

भोपाल/ मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से अपनेपाव पसार रही है। सरकार के एक्सपर्ट्स की मानें तो, आने वाले दो हफ्तों से पहले यानी 30 अप्रैल तक प्रदेश में कोरोना के 1 लाख 85 एक्टिव केस होंगे। इस हिसाब से मरीजों की आपूर्ति के लिये 651 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी। प्रदेश में इतनी बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन बना पाना संभव नहीं। ऐसे में अगर सरकार राज्यों से ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है, तो उसके लिये 250 टैंकरों की जरूरत होगी। लेकिन, सरकार के पास फिलहाल 61 टैंकर ही ऑक्सीजन की आवाजाही के लिये मौजूद। इनमें से 50 टैंकर सरकारी हैं, तो 11 किराये के। लेकिन, सरकार का अनुमान अगर सही है, तो आगामी दिनों में उन्हें कम से कम 190 टैंकरों की और जरूरत पड़ेगी ऑक्सीजन आपूर्ति के लिये।

 

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भयावय होती जा रही संक्रमण की रफ्तार

आपको बता दें कि, मौजूदा समय में मध्य प्रदेश को कुल 300 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, जिसकी पूर्ति कर पाना ही इन 61 टैंकरों के बस से बाहर हो रहा है। आपको ये भी बता दें कि, शुक्रवार तक प्राप्त सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में कुल 59 हजार 183 एक्टिव केस हैं, गुरुवार को यही 55 हजार 694 थे। हालांकि, अगर प्रदेश में संक्रमण की रफ्तार इसी गति से चली, तो आगामी 30 अप्रैल तक ये आंकड़ा सरकारी अनुमान लगाए जा रहे एक्टिव केसों (1 लाख 85 हजार) से भी 10 से 20 हजार अधिक होगा।


इस तरह तो 700 टन ऑक्सीजन की करनी होगी आपूर्ति

जिस समय ये आंकड़ा दो लाख एक्टिव केस पर पहुंचेगा, तब ऑक्सीजन की डिमांड 700 टन जा पहुंचेगी। इधर, सरकारी दावे के मुताबिक, शुक्रवार को 336 टन ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई थी। जबिक, 20 अप्रैल के लिये यही व्यवस्था 445 टन करनी होगी, 25 अप्रैल को 565 टन और 30 अप्रैल को 700 तक ही व्यवस्था करनी होगी। भिलाई, बोकारो, राउरकेला, जमशेदपुर आदि से ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकर जुटाए जा रहे हैं।


50 टैंकर का टारगेट सेट

शुक्रवार को मध्य प्रदेश से अतिरिक्त ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अरविंद सक्सेना ने कोलकाता पहुंचने के बाद ऑक्सीजन के लिए कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी और मध्य प्रदेश कैडर के सीनियर आईएएस प्रमोद अग्रवाल से ऑक्सीजन के संबंध में सहयोग की मांग की। इसके बाद तत्काल ही टीम बनाई गई और आठ कंपनियों से एक दिन में चर्चा की गई। फिलहाल, एक-दो दिनों के भीतर प्रदेश सरकार को 15 से 20 टैंकर मिलने की संभावना है। जबकि, टारगेट 50 टैंकरों का सेट किया गया है। इधर, टैंकर के लिए एक टीम को भिलाई भी भेजा जा चुका है।


भोपाल में 75 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति, BHEL से 2 टन की रोजाना सपोर्ट

भोपाल में 75 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हो गई है। भेल रोजाना दो टन ऑक्सीजन दे रहा है। सीएम की मीटिंग में एसीएस हेल्थ मोहम्मद सुलेमान के मुताबिक, ‘मुख्यमंत्री ये आपके ही प्रयास हैं कि, गुजरात से 120 टन ऑक्सीजन का करार हुआ। अन्यथा गुजरात वालों से आज के समय में कुछ चीज निकलवाना कठिन काम है।’


इंदौर में 7 टैंकरों से रिलायंस करेगा ऑक्सीजन सप्लाई

मध्य प्रदेश की आर्थिक नगरी इंदौर में संक्रमण की रफ्तार सबसे तेज है। स्वभाविक सी बात है कि, ऑक्सीन की सबसे अधिक जरूरत भी यहीं पड़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मौजीदा समय में ही शहर में ऑक्सीजन संकट चिंता का विषय बना हुआ है। ऑक्सीजन की कमी से लगातार मरीज जान गवा रहे हैं। ऐसे में भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि, शहर में ऑक्सीजन आपूर्ति के लिये रिलायंस समूह के अनंत अंबानी से बात हुई है। उन्होंने बताया- 7 टैंकर तैयार हैं। ये शनिवार-रविवार तक इंदौर पहुंच जाएंगे। ये टेंकर कलेक्टर मनीष सिंह की देख रेख में कार्य करेंगे।

 

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सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 285 टन स्टोरेज क्षमता, निजी में 150 टन की

वहीं, अगर बात की जाए, ऑक्सीजन स्टोरेज की, तो प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 285 टन तक ऑक्सीजन स्टोरेज करने की क्षमता है। इसके अलावा, निजी अस्पतालों में 100 से 150 टन तक ऑक्सीजन का स्टोरेज करने की कैपिसिटी है। यानी अन्य राज्यों से लिये जाने वाले टैंकरों को यहां खाली किया जा सकता है। बता दें कि ऑक्सीजन बेड वाले एक कोरोना मरीज को 10 लीटर प्रति मिनट सप्लाई चाहिए। जबकि आईसीयू-एचडीयू बेड वाले गंभीर मरीज को 25 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूरत होती है।

 

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