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भोपाल

नर्मदा किनारे लगाए गए 7 करोड़ पौधों की नए सिरे से होगी जांच

सरकार ने 600 कर्मचारियों को सौंपी जिम्मा

भोपालFeb 20, 2019 / 09:51 am

Ashok gautam

stolen plants

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भोपाल। वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि दो जुलाई को नर्मदा के किनारे रोपे गए 80 फीसदी पौधे जीवित हैं। यह बात कांग्रेस सरकार के गले नहीं उतर रही है। इस मामले में मंत्री के कहने पर वन बल प्रमुख ने नर्मदा के किनारे रोपे गए पौधों की जीवितता के प्रतिशत की नए सिरे से जांच करने के निर्देश दिए हैं।
जांच के लिए ६०० अधिकारियों, कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पौधों के जीवितता को लेकर कांग्रेस के विधायक डब्बू सिद्धार्थ कुशवाहा ने भी विधानसभा में सवाल लगाया था। जवाब में मंत्री उमंग सिंघार ने बताया कि वे इसकी जांच कराने के पहले ही निर्देश दे चुके हैं।

वन विभाग अपने दावों पर कायम है कि दो जुलाई 2०17 को नर्मदा के किनारे रोपे गए पौधों में ८० फीसदी जीवित हैं। यह बात न तो मंत्री को हजम हो रही है और न ही सरकार को हो रही है।
पहले मंत्री ने अधिकारियों को कहा था कि वे खुद नर्मदा के किनारे रोपे गए पौधों को देखने खुद जाएंगे, लेकिन वे देखने के लिए नहीं जा पाए। अब इसकी जांच फिर से अधिकारियों को सौंपा गया है।
वन बल प्रमुख ने जेके मोहंती ने सीसीएमफ और डीएफओ को निर्देश दिए हैं कि वे अपने निगरानी में इसकी जांच कराएं और इसकी रिपोर्ट एक माह के अंदर विभाग को सौंपे।

वन विभाग ने एनजीटी को पहले ही दो बार रिपोर्ट सौंप चुका है कि दो जुलाई को जो पौधे रोपे गए थे उसमें 80 फीसदी पौधे जीवित हैं। कांग्रेस विधायकों के सवाल पर यही जवाब विधानसभा को भी तत्कालीन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने दिया था।
चार स्तर पर बनाई कमेटी
पौधरोपण और जीवितता की स्थिति जानने के लिए वन विभाग ने चार स्तर पर टीम बनाई है। इस टीम में मुख्यालय में पदस्थ एपीसीसीएफ स्तर से अधिकारी से लेकर डप्टी रेंजर तक शामिल हैं।
एक वन मंडल की जांच दूसरे वन मंडल के अधिकारियों और दूसरे वन मंडल की तीसरे के द्वारा कराई जाएगी। मुख्यालय से मानीटिरिंग के लिए एक-एक पीसीसीएफ को तीन से तीन-चार संभागों की जिम्मेदारी दी गई है। इस सर्वे में ६०० लोगों की टीम लगाई गई है।

विधायक के ये हैं तर्क
वन विभाग ने २०१७ में ७.१० करोड़ पौधे एक दिन में २ जुलाई को अमरकंटक से लेकर खरगोन तक लगाए गए थे। इसमें अस्सी फीसदी पौधे जीवित भी हैं। इसके बाद वर्ष 2018 में फिर से उन्हीं क्षेत्रों में फिर से ८ लाख पौधे रोपे गए। इसमें कांग्रेस के विधायक डब्बू सिद्धार्थ कुशवाहा का यही तर्क हैं कितने ज्यादा पौधे वहां कैसे रोपे जा सकते हैं।
इसके पहले मंत्री उमंग सिंघार ने भी विभागीय समीक्षा बैठक में इस तरह के सवाल उठाए थे कि एक ही स्थान पर इतने ज्यादा पौधे कैसे लगाए जा सकते हैं। उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए कि जीवित पौधों की जिलावार रिपोर्ट तैयार कराएं। उन्होंने कहा था कि रिपोर्ट आने के बाद वे खुद इसका मौका मुआयना करेंगे।

यह है मामला –
भाजपा सरकार ने नर्मदा संरक्षण के नाम पर धार्मिक अभियान चलाया था। इसके शुद्धिकरण और बचाव के लिए दो जुलाई २०१७ को ७.१० करोड़ पौधों का रोपण कर गिनीज बुक में दर्ज कराने का दावा किया था। इस पर कांग्रेस सवाल उठाते आ रही है।
विधानसभा में जीवित पौधों की जानकारी मांगी गई तो सरकार ने यह जवाब दिए कि जानकारी एकत्रित की जा रही है। बाद में वन विभाग ने दावा कर दिया कि जीवित पौधों का प्रतिशत 80 से ऊपर है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने चुनाव से पहले उठाए थे सवाल
नर्मदा परिक्रमा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पौध रोपण पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि जिन क्षेत्रों में सरकार पौधरोपण के दावे कर रही है, वहां पौधे नहीं लगाए गए हैं।
पौधरोपण में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। इसके जांच की मांग भी उन्होंने सरकार से की थी। बताया जाता है कि नर्मदा परिक्रमा के बाद उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे मंत्री सिंघार को उपलब्ध कराई है। हाल ही में फिर फिर से दिग्विजय सिंह ने पौध रोपण के मामले में भारी भ्रष्टाचार होने की बात कही है। उन्होंने कहा पौध रोपण की दशा तो मैंने नर्मदा परिक्रमा के दौरान पैदल चल कर देगी है।

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