वे देशभर के 3899 धावकों में 89वें नंबर पर रहे। वरेण्यम को एशियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने 8 दिसंबर 2020 को ग्रैंड मास्टर्स का टाइटल दिया था। इससे चार दिन पहले, यानी 4 दिसंबर तो वरेण्यम का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। उन्हें ‘मैक्सिमम डिस्टेंस कवर्ड बाई ए किड वाइल रनिंग’ का टाइटल भी मिला है।
ऐसे शुरु हुआ था सफर
मार्च में शुरु हुए कोरोना संक्रमण के बाद जबसंक्रमण पीक पर था, तब वरेण्यम की सुरक्षा को देखते हुए उसके घर से निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी, जिसके कारण वह मोबाइल पर गेम खेलने का आदी हो गया। करीब एक महीने बाद जब लॉकडाउन में कुछ ढील मिली तो उसे पार्क में घुमाने ले गए तो उसने खेल-खेल में पार्क के दो राउंड लगाए। इसके बाद वरेण्यम की दौड़ का सफर शुरू हुआ।
परिवार को है गर्व
माता पिता और दादा को वरेण्यम पर गर्व है। परिजनों को उसकी एकाग्रता और रेगुलरटी पर गर्व है। वह कहते हैं कि वह रोज़ सुबह 5 बजे उठ जाता है ओर हमें भी दौड़ने के लिए प्ररित करता है। उसकी इस आदत से पूरी कॉलोनी के लोग भी प्रभावित हुए हैं। वह भी रोजाना उसे दौड़ते हुए देखकर खुश होते हैं और पार्क में टाइम पर आ जातें है।