भोपाल

5-जी नेटवर्क: राजधानी में सात किलोग्राम के डिवाइस को ऊंचे खंभे पर लगाकर कर रहे जांच

– शहर में हैं 600 से अधिक मोबाइल टॉवर, नगर निगम के 100 स्मार्ट पोल से मिलता है मोबाइल नेटवर्क
– स्मॉल सेल तकनीक से तीन सर्विस प्रोवाइडर के साथ ट्राई कर रहा काम- ट्राई तीन सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ शहर में 50 से अधिक क्षेत्रों में कर रहा सर्वे

भोपालJun 21, 2022 / 12:15 pm

दीपेश तिवारी

भोपाल। राजधानी भोपाल शहर में मोबाइल नेटवर्क की 5-जी रफ्तार के लिए महज सात किलोग्राम के डिवाइस को फुट ओवरब्रिज से लेकर ऊंचे खंभे पर लगाकर नेटवर्क की जांच की जा रही है। अलग से मोबाइल टॉवर स्थापित किए बिना मौजूदा टॉवर्स के साथ अन्य अधोसंरचनाओं का उपयोग कर मोबाइल नेटवर्क की रफ्तार और उसके प्रभाव को देखने का अध्ययन किया जा रहा है।

स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन ने टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ट्राई के साथ स्माल सेल तकनीकी से 5-जी नेटवर्क की टेङ्क्षस्टग शुरू की है। ट्राई ने इसके लिए तीन सर्विस प्रोवाइडर्स को अलग-अलग क्षेत्रों में जांच की अनुमति प्रदान की गई है। तीसरे सर्विस प्रोवाइडर्स को हाल में पांच जगह की अनुमति दी गई, जबकि शुरुआती दो को भी शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने की अनुमति दी है।

स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन से जुड़े अफसरों का कहना है कि संभवत: अगस्त शुरुआत में इसके परिणाम सामने आना शुरू हो जाएंगे। इसके परिणाम के आधार पर ही शहर में 5-जी मोबाइल नेटवर्क का भविष्य तय होगा।

गौरतलब है कि शहर में इस समय 600 से अधिक मोबाइल टॉवर हैं। इनके अलावा नगर निगम के 100 स्मार्ट पोल भी हैं और यहां से भी मोबाइल नेटवर्क का दावा है। 4-जी तकनीक के लिए शहर में बीते पांच साल में 400 से अधिक मोबाइल टॉवर स्थापित किए गए। पुराने टॉवर्स पर ही सर्विस प्रोवाइडर्स ने अपने सिस्टम लगा रखे हैं। बड़े टॉवर्स का क्षेत्रवार विरोध भी हो रहा है।

इस समय ही शहर में मोबाइल टॉवर का 50 से अधिक जगह पर विरोध किया जा रहा है। ऐसे में स्मॉल सेल 5- जी तकनीक से क्षेत्रवार विरोध दूर होगा, अलग से अधोसंरचना विकसित करने की जरूरत भी नहीं होगी। छोटे से उपकरण से तेज रफ्तार नेटवर्क की राह आसान होगी।

शहर में अभी तीन सर्विस प्रोवाइडर्स के माध्यम से स्मॉल सेल 5-जी तकनीक का सर्वे किया जा रहा है। छोटा सा डिवाइज है, इसके लिए अलग से टॉवर की जरूरत नहीं है। क्षेत्रवार जरूरत के अनुसार मौजूदा अधोसंरचना के साथ ही अटैच किया जा सकता है। इसके परिणाम आने के बाद आमजन के हिसाब से काम शुरू होगा। अभी पायलट और ट्रायल किया जा रहा है।
– अंकित अस्थाना, सीईओ, स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन

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