भोपाल

स्कूलों में 50 बच्चों पर होगा एक रसोइया

– मध्यान्ह भोजन : गाइडलाइन तैयार, स्व-सहायता समूह की मनमानी होगी खत्म

भोपालNov 01, 2019 / 09:37 pm

anil chaudhary

मिड डे मील

भोपाल. कमलनाथ सरकार ने स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों के लिए गाइडलाइन तैयार कर रही है। इससे सभी स्कूलों में रसोइया और उसके सहायकों की संख्या एक जैसे हो सकेगी। अभी स्कूल प्रमुख और स्व सहायता समूहों ने मनमर्जी से रसोइयों की भर्ती कर रखी है। इसके साथ ही सरकार उनका मानदेय भी बढ़ाने पर विचार कर रही है। गाइडलाइन पंचायत एवं ग्रामीण विभाग विभाग बना रहा है। प्रदेश में वर्तमान में ढाई लाख से अधिक रसोइए मध्यान्ह भोजन बना रहे हैं।
स्कूलों और अपेक्स किचन को प्रति 50 बच्चों पर एक रसोइया दिया जाएगा, जिससे बच्चों का खाना स्वादिष्ट और गुणवत्ता पूर्ण बने। किचन शेड की क्षमता, बच्चों और स्कूल संख्या के आधार पर उन्हें सहायक उपलब्ध कराया जाएगा। रसोइया और उनके सहायक के आने-जाने का समय भी तय किया जाएगा, जिससे सभी स्कूलों में निर्धारित समय पर मध्यान्ह भोजन मिल सके। सभी रसोइयों के मानदेय उनके बैंक एकाउंट में भेजा जाएगा, जिसे उन्हें आधार से लिंक कराना होगा। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन स्व-सहायता समूहों के माध्यम से दिया जा रहा है। जबकि नगरीय निकाय क्षेत्रों में केन्द्रीकृत रसोइया है, जिनका संचालन एनजीओ के माध्यम से किया जाता है। वर्तमान में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर सहित 19 नगरीय निकायों में एनजीओ के माध्यम से मध्यान्ह भोजन बनाया और स्कूलों में वितरण किया जाता है।
– सफाई पर रखी जाएगी विशेष नजर
मध्यान्ह भोजन बनाते समय रसोइए और उसके सहायक की साफ-सफाई पर विशेष नजर रखी जाएगी। किचन में साबुन और लिक्विड हैंडवॉश रखा जाएगा। रसोइए को हाथ-पैर धोने, सिर में कपड़ा बांधने के बाद ही किचन शेड में जाने की इजाजत दी जाएगी। इसके अलावा उनके नाखून काटने, साफ कपड़े पहनकर आने की सलाह दी जाएगी। अपेक्स संस्था तथा स्कूल प्रमुख रसोइए, बर्तन और किचन शेड की सफाई पर निगरानी रखेंगे और हर हफ्ते इसकी रिपोर्ट तैयार करेंगे।

– दो माह के अंदर किचन शेड बनाने के निर्देश
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मध्यान्ह भोजन के लिए अपेक्स संस्था और स्कूलों को दो माह के अंदर किचन शेड बनाने के निर्देश दिए दिए गए हैं। स्कूलों में चार तरह के किचन शेड बनाए जा रहे हैं, जिनके निर्माण के लिए 60 हजार रुपए से लेकर डेढ़ करोड़ रुपए तक खर्च हो रहे हैं। विभाग ने जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि वे किचन शेड निर्माण की पंचायत स्तर पर समीक्षा करें, जहां भी इसके निर्माण में कठिनाई जा रही है वे खुद मौके पर जाकर उसे दूर करें। इसके अलावा जो किचन शेड किसी कारण से नहीं बन पा रहे हैं उसकी राशि वापस करें।

मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए रसोइया रखने और उससे जुड़े दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। इसमें यह तय होगा कि मध्यान्ह भोजन के लिए स्कूल अधिकतम कितने रसोइया रख सकेंगे।
– दिलीप कुमार, संचालक, मध्यान्ह भोजन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग

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