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हालांकि सड़कों की निगरानी के लिए एमपीआरडीसी ने इंजीनियरों के मैदान में उतार दिया है। रिपोर्ट तैयार की जा रही है। ठेकेदारों से ज्यादा खराब सड़के बारिश के बाद नए सिरे से बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, जो सड़कें गारंटी पीरियड में नहीं हैं, उनके पेंच वर्क के लिए सभी चीफ इंजीनियरों को राशि जारी की गई है।
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शर्तों का पालन हो तो 7 साल-सलामत रहें सड़कें
नियम-शर्तों का पालन नहीं होने से बारिश में प्रदेश की हजारों किमी सड़कें छलनी हो जाती हैं। इसे लेकर रिटायर्ड इंजीनियर इन चीफ प्रभाकांत कटारे कहते हैं कि सडकें तकनीकी तौर पर सभी लेयर का ध्यान रखकर बनें तो पांव से सात साल तक कोई परेशानी नहीं आती है।
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5 एजेंसियों के पास जिम्मा
प्रदेश की 5 एजेंसियां सड़कें बनाती हैं, इनमें एमपीआरडीसी, – लोक निर्माण विभाग, राजधानी परियोजना प्रशासन, नगर निगम पास है जिम्मा 1 और मप्र ग्रामीण सड़क विकास निगम शामिल हैं लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि सुधार कराया रहा जहां भी सड़कें खराब हैं, वहां सुधार कराया जा रहा है। कुछ खराब सड़के ऐसी हैं, जो हमारे विभाग की नहीं हैं।
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कांग्रेस का गड्ढा कूदो’ प्रदर्शन
रतलाम में बारिश में रतलाम की यदहाल सड़कों के मुद्दे पर लोगों ने अनूठा प्रदर्शन करते हुए गड़्ढा कूदो आंदोलन किया। इस दौरान लोग एक के बाद एक गडटों के ऊपर से छलांग लगा रहे थे। इस दौरान विजेताओं को 101 रुपए का पुरस्कार दिया गया। इसके बाद लोगों ने बारिश के पानी से भरे गडढों में पौंधे भी लगाए।