इससे पहले तक जहां लोकसभा चुनावों के दौरान मध्यप्रदेश में भाजपा को भारी बढ़त मिलने की आशा जताई जा रही थी, वहीं कमलनाथ की इस राजनैतिक रणनीति के चलते जानकार अब लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी टक्कर मिलते देख रहे हैं।
दरअसल जानकारों का मानना है कि लोग विधानसभा चुनाव तक तो भाजपा शासन से नाराज थे, लेकिन उस समय भी कई लोगों का कहना था भले ही अभी भाजपा के लिए मतदान न करें, लेकिन लोकसभा चुनावों में मोदी का ही साथ देंगे।
इन्हीं सब बातों के चलते लोकसभा में भाजपा को अच्छी बढ़त मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसी बीच लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार की ओर से सरकारी कर्मचारियों को दी जा रहीं सौगातें भाजपा की मुश्किलों में इजाफा कर सकती हैं।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार यदि कांग्रेस सरकारी कर्मचारियों सहित बुजूर्गों व युवाओं को इसी तरह से सौगातें देती है और लोकसभा चुनाव से पहले ये योजनाएं व सौगातें स्वरूप ले लेते हैं। तो ये भाजपा के लिए बड़े झटके का कारण बन सकती हैं।
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इस मामले को लेकर जानकारों में भी अलग अलग मत बने हुए हैं, जहां एक ओर कुछ जानकारों का मानना है कि कमलनाथ के इस स्टोक से भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले ही चित्त हो जाएगी। क्योंकि पेंशनर्स,कर्मचारी और युवा वर्ग सीधे तौर पर इससे प्रभावित होंगे।
वहीं कुछ अन्य का मानना है कि इसका कोई ज्यादा विशेष असर नहीं होगा। क्योंकि ये चुनाव विधानसभा का नहीं है, वहीं मोदी सरकार को लेकर भी कोई बहुत ज्यादा विरोध कर्मचारियों के मन में भी नहीं है।
ये है मामला…
दरअसल मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों के दो फीसदी महंगाई भत्ते (डीए) को आखिरकार मंजूरी दे दी है। यह महंगाई भत्ता एक जुलाई 2018 से पेंडिंग था। चर्चा है कि सरकार ने इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 10 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा। वहीं बढ़ा हुआ भत्ता कर्मचारियों के मार्च के वेतन में जुड़कर आएगा। जबकि एरियर की राशि सरकार जीपीएफ खाते में जमा कराएगी।
बताया जाता है कि डीए बढ़ने से राज्य सरकार के खजाने पर हर साल 1,098 करोड़ रुपए का भार आएगा।
वहीं जानकारों की माने तो माली हालात ठीक नहीं होने के बावजूद सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम कहीं ने कहीं लोकसभा चुनावों 2019 को देखते हुए उठाया गया लगा है। वहीं चर्चा यह भी है कि पिछले छह महीने से डीए पेंडिंग होने से कर्मचारियों में नाराजगी थी, जिस कारण सरकार उन्हें जल्द से जल्द संतुष्ट करने की कोशिश में थी ताकि इसका निगेटिव असर चुनाव 2019 पर नहीं पड़े।
लाभांवित होने वाले इन 10 लाख कर्मचारियों में शासकीय, शिक्षक संवर्ग, पंचायत सचिव, पेंशन पाने वाले और स्थाई कर्मचारी शामिल हैं।
गौरतलब है कि सातवां वेतनमान लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने जुलाई 2018 से अपने कर्मचारियों का डीए दो फीसदी बढ़ौतरी के साथ नौ फीसदी कर दिया था।
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जबकि मध्यप्रदेश में यह 7 फीसदी था। अब दो फीसदी डीए की मंजूरी के बाद मध्यप्रदेश के कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारियों के बराबरी पर आ गए हैं। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार का एक जनवरी 2019 से मिलने वाला डीए फिर पेंडिंग हो गया है।इसके अलावा मध्यप्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के दायरे में करीब 41 लाख बुजुर्ग आते हैं। 60 से लेकर 80 वर्ष तक की आयु के इन बुजुर्गों को अभी 300 रुपए और 80 साल से ज्यादा उम्र वालों को 500 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती है।
इसके अलावा सरकार ने विवेकानंद युवा शक्ति मिशन योजना के तहत बेरोजगारों को हर महीने 4 हजार रुपए भत्ता देने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही बेरोजगार युवाओं को 100 दिन का काम भी दिया जाएगा। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य सरकार की योजना को मंजूरी मिल सकती है।