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भोपाल

एक टैम्पो कंडक्टर कैसे बन गया आईपीएस ऑफिसर, रुला देगी संघर्ष की ये कहानी

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के बिलगवां गांव के रहने वाले इस शख्स के एक ऑटो कंडक्टर से आईपीएस ऑफिसर बनने की कहानी आपको रुलाएगी नहीं…बल्कि प्रेरित करेगी…कि जिंदगी हारने के लिए नहीं, जीतने का नाम है…उम्मीद जगाए रखें… पूरा करने की कोशिश कीजिए जुनूनी हद तक… क्या आपने सुना है इस 12th फेल आईपीएस ऑफिसर (12th fail ips officer) का नाम…?

भोपालFeb 07, 2024 / 12:03 pm

Sanjana Kumar

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आपका जवाब हां ही होगा..ये देश के अकेले ऐसे आईपीएस ऑफिसर, जिनकी लाइफ कागजों पर उतरी तो प्रेरक कहानी बनी और बड़े पर्दे पर एक प्रेरणा। लाखों युवाओं की उम्मीदें जगाने वाले ये 12th फेल आईपीएस ऑफिसर वही हैं जिन्हें आप पहचान चुके हैं… जीहां, मनोज कुमार शर्मा। mp patrika.com में हम आपको बता रहे हैं 12th फेल (12th fail) मनोज की लाइफ की रील से इतर रियल लाइफ के उन दिनों की कहानी जब उनका एक ही सपना था टैम्पो चलाकर पैसे जोड़ना और नया टैम्पो खरीदना, पढ़ें ये इंट्रेस्टिंग स्टोरी…

12th फेल होते ही निराश हो गए थे

12th कक्षा में नकल नहीं कर पाने के कारण मनोज फेल हो गए थे। घर-परिवार को खुशियां देने की चाहत पर इस रिजल्ट ने पानी फेर दिया था। परीक्षा में नकल करके पास होने और फिर टीचर बनकर सम्मान से जीने का उनका सपना अब चूर-चूर हो चुका था। हालात पर मन रुआंसा था, लेकिन किस्मत के आगे किसका जोर था।

भाई कमलेश ने दी टैंपो खरीदने की सलाह

12th फेल होने से हताश मनोज को उनके भाई कमलेश ने बताया था कि कोई अपना पुराना टैंपो बेचकर नया खरीदना चाहता है, क्यों ना उस सेकंड हैंड टैंपो को खरीद लिया जाए।

टैंपो खरीदने के नहीं थे पैसे

सैकंड हैंड ऑटो की कीमत 40 हजार रुपए थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि मनोज के पास सैकंड हैंड टैंपो खरीदने के लिए इतने रुपए नहीं थे। तब मनोज की मां ने कुछ जमा पूंजी से और कुछ गहनों को गिरवी रखकर 10 हजार रुपए जुटाए। वहीं 30 हजार रुपए की राशि उधार ली थी।

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टैंपो आते ही परिवार में जैसे आईं खुशियां

घर-परिवार मनोज अपने भाई कमलेश के साथ टैंपो लेकर जैसे ही घर पहुंचे, तो अकेले मनोज ही नहीं बल्कि उनका पूरा घर-परिवार आत्मविश्वास और नई उम्मीदों से भर गया था।

पहली कमाई 200 रुपए

पहले दिन मनोज और उसका भाई जब टैंपो लेकर निकले तो कमलेश ड्राइवर बना और मनोज कंडक्टर। मनोज ने आवाज लगाना शुरू की छैरा, भर्रा, बागचीनी, मुरैना…उनकी आवाज सुनकर 5 सवारियां टैंपो में बैठीं। शाम तक उन्होंने 200 रुपए कमाए और घर पहुंचकर मां को दिए।

पहली कमाई देख रो पड़ी थीं मां

मनोज की मां पहली कमाई लेकर घर पहुंचे अपने बच्चों की हालत देखकर भावुक हो गई। धूल-मिट्टी में सने मनोज और कमलेश के चेहरों पर पहली कमाई की चमक साफ दिख रही थी। अब सबको उम्मीद थी कि घर संभल जाएगा और सारा कर्ज चूक जाएगा। लेकिन मनोज इस टैंपो से एक महीने ही कमाई कर सके और साजिश के शिकार हो गए।

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दरअसल साजिश का शिकार मनोज और कमलेश हर दिन ऑटो चलाकर 250-250 रुपए यानि 500 रुपए कमाकर घर ले जाते थे। लेकिन उनकी यह कमाई बस ऑपरेटरों को रास नहीं आई और उन्होंने एक्सीडेंट का झूठा आरोप लगाकर उनका ऑटो जब्त करवा दिया गया था।

 

 

 

फिर एक दिन सच हुए सपने

इस साजिश के बाद मनोज टूट गए, लेकिन हिम्मत नहीं हारे। एक एसडीएम के एक्शन से मिली प्रेरणा ने उनकी लाइफ बदल दी और चीटिंग छोड़कर पूरे जुनून के साथ आईपीएस ऑफिसर बनने की राह पर चल पड़े और सक्सेस हुए।

मनोज कुमार शर्मा की लाइफ स्ट्रगल की ऐसी ही रोचक कहानियों के लिए पढ़ते रहिए mppatrika.com और कमेंट करके हमें जरूर बताइए कि आपको ये स्टोरी कैसी लगी।

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