केस-01- 15 सितंबर को आमला ब्लॉक में नरेरा और छिपन्या पिपरिया के बीच पडऩे वाली भैंसई नदी पार करते समय एक ऑटो बह गई थी। आटो में चालक सहित चार लोग नदी में बह गए थे। चारों के शवों को एनडीआरएफ टीम ने निकाला था।
केस02- 25 जून को तेज बारिश के चलते गंज स्थित रेलवे के अंदर अंडर ब्रिज से रात के वक्त कार सहित दो युवक नाले की बाढ़ में बहकर माचना नदी में चले गए थे। जिनके शव दूसरे दिन दस किमी दूर मिले थे। यहां पुल पर रेलिंग नहीं होने के कारण हादसा हुआ था।
केस-03- 15 सितंबर को जिले में तेज बारिश आने से नदी-नालों में ऊफान आ गया था। मुलताई के पारेगांव रोड पर नाले में बाढ़ आ गई थी। नाले को पार करते वक्त 50 वर्षीय जीवन बाढ़ में बह गया था। जिसका शव दूसरे दिन मिला था।
केस 04- 22 जुलाई को ग्राम सांडिया के नदी में बाढ़ के चलते 39 वर्षीय धर्मराज नामक बह गया था। जिसका शव एक दिन बाद नदी में मिला था। इसी प्रकार आमला के तोरणवाड़ा के टप्पाढाना में 25 वर्षीय संतोष नदी में आई बाढ़ में बह गया था।
केस02- 25 जून को तेज बारिश के चलते गंज स्थित रेलवे के अंदर अंडर ब्रिज से रात के वक्त कार सहित दो युवक नाले की बाढ़ में बहकर माचना नदी में चले गए थे। जिनके शव दूसरे दिन दस किमी दूर मिले थे। यहां पुल पर रेलिंग नहीं होने के कारण हादसा हुआ था।
केस-03- 15 सितंबर को जिले में तेज बारिश आने से नदी-नालों में ऊफान आ गया था। मुलताई के पारेगांव रोड पर नाले में बाढ़ आ गई थी। नाले को पार करते वक्त 50 वर्षीय जीवन बाढ़ में बह गया था। जिसका शव दूसरे दिन मिला था।
केस 04- 22 जुलाई को ग्राम सांडिया के नदी में बाढ़ के चलते 39 वर्षीय धर्मराज नामक बह गया था। जिसका शव एक दिन बाद नदी में मिला था। इसी प्रकार आमला के तोरणवाड़ा के टप्पाढाना में 25 वर्षीय संतोष नदी में आई बाढ़ में बह गया था।
पुल-पुलिया से गायब हुए बेरियर और चौकीदार
वर्षाकाल शुरू होने से पहले बाढ़ आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में कलेक्टर ने संबंधित विभागों को जलमग्न पुल-पुलियाओं पर बेरियर लगाए जाने और समयपालों व उपयंत्रियों को पर्यवेक्षण के लिए पाबंद करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए बकायदा कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई थी, ताकि वे निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि निर्देशों पालन हो रहा है या नहीं, लेकिन इसके बाद भी संबंधित विभागों ने जलमग्न पुल-पुलियाओं पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए। जिसके कारण लोगों को हादसों में अपनी जान गंवाना पड़ी।
वर्षाकाल शुरू होने से पहले बाढ़ आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में कलेक्टर ने संबंधित विभागों को जलमग्न पुल-पुलियाओं पर बेरियर लगाए जाने और समयपालों व उपयंत्रियों को पर्यवेक्षण के लिए पाबंद करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए बकायदा कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई थी, ताकि वे निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि निर्देशों पालन हो रहा है या नहीं, लेकिन इसके बाद भी संबंधित विभागों ने जलमग्न पुल-पुलियाओं पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए। जिसके कारण लोगों को हादसों में अपनी जान गंवाना पड़ी।
तीन महीने में 12 लोग हादसों का शिकार
वर्षाकाल के दौरान बीते तीन महीनों में 12 लोग हादसों का शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें लोगों की लापरवाही भी रही हैं, लेकिन इन जगहों पर बेरियर या चौकीदार तैनात रहते तो शायद इन हादसों का रोका जा सकता था। बताया गया कि जनवरी से अभी तक कुल 25 लोग हादसों में जान गंवा चुके है। जबकि पिछले साल 2022 में 28 लोगों की डूबने से मौत हुई थी। इन सभी के शव को होमगार्ड की एसडीआरएफ टीम ने निकाला था। होमगार्ड के एसडीआरएफ की माने तो जिन जगहों पर हादसे हुए हैं वहां पर लोगों को सचेत किए जाने को लेकर कोई संकेतक या बोर्ड नहीं लगाए गए थे, जिस वजह से लोगों की जाने चली गई।
वर्षाकाल के दौरान बीते तीन महीनों में 12 लोग हादसों का शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें लोगों की लापरवाही भी रही हैं, लेकिन इन जगहों पर बेरियर या चौकीदार तैनात रहते तो शायद इन हादसों का रोका जा सकता था। बताया गया कि जनवरी से अभी तक कुल 25 लोग हादसों में जान गंवा चुके है। जबकि पिछले साल 2022 में 28 लोगों की डूबने से मौत हुई थी। इन सभी के शव को होमगार्ड की एसडीआरएफ टीम ने निकाला था। होमगार्ड के एसडीआरएफ की माने तो जिन जगहों पर हादसे हुए हैं वहां पर लोगों को सचेत किए जाने को लेकर कोई संकेतक या बोर्ड नहीं लगाए गए थे, जिस वजह से लोगों की जाने चली गई।
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
नदी-नालों में बाढ़ के दौरान इसे पार करने की कोशिश में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, इन हादसो को लेकर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि बाढ़ आपदा से बचाव के लिए बैठकों में दिए जाने वाले निर्देशों का कहीं कोई पालन नहीं होता है। बारिश के दौरान कलेक्टर स्वयं तीन बार आपदा प्रबंधन को लेकर बैठके ले चुके हैं और हादसों को रोकने के लिए निर्देश भी जारी कर चुके हैं, लेकिन सितंबर माह में बाढ़ में बहने की वजह से 7 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसलिए बाढ़ आपदा से बचाव को लेकर होने वाली बैठे भी सवालों के घेरे में हैं,आखिर हादसों में रोक क्यों नहीं लग रही है।
इनका कहना
– बारिश में बाढ़ की वजह से हर साल मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। इस साल वर्षाकाल से अभी तक 12 लोगों का रेस्क्यू एसडीआरएफ कर चुकी हैं, लेकिन कोई जिंदा नहीं मिला। एसडीआरएफ लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाती है। जिसकी वजह से चूनाहजुरी स्कूल के सात छात्रों की जान भी बची थी, क्योंकि उन्होंने नदी पार करने का जोखिम नहीं उठाया था।
– सुनीता पंद्रे, एसडीआरएफ इंचार्ज होमगार्ड बैतूल।