हालांकि, यह राशि पांच साल में ही वसूल हो जाएगी। इसके बाद निकायों को इस मद में खर्च नहीं करना पड़ेगा। प्लांट से बिजली उत्पादन होने से इसे बिजली कंपनी को बेच दिया जाएगा। यह राशि निकायों के बिल में से कम हो जाएगी।
2-3 रुपए यूनिट पर बिजली
विभाग के आयुक्त भरत यादव के अनुसार, रीवा या आसपास के क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 100 हेक्टेयर जमीन तलाशी जाएगी। इस योजना से 100 निकायों को पेयजल सप्लाई और 20 निकायों को सीवेज ट्रीटमेंट के लिए बिजली दी जाएगी। अभी निकायों को सालान करीब 80-90 करोड़ रुपए बिजली पर खर्च करने पड़ते हैं। प्लांट लगने के बाद 7 रुपए प्रति यूनिट की बजाए 2-3 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलेगी।
5 साल बाद होने लगेगी कमाई
विभाग के उपक्रम अर्बन डेवलपमेंट कंपनी नगर पालिका और परिषद में पेयजल सप्लाई और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इन योजना के संचालन और संधारण के लिए वल्र्ड बैंक, केएफडब्ल्यू और एडीबी से लोन लिया है।
प्रारंभिक प्रस्ताव के तहत विभाग एडीबी या वल्र्ड बैंक से प्रोजेक्ट लोन लेने, निजी निवेशक को 20 साल के लिए प्लांट संचालन की जिम्मेदारी देने या ग्रीन बॉण्ड जारी करने पर विचार कर रहा है। आगामी समय में निकायों को कार्बन क्रेडिट में भी इसका फायदा मिलेगा। दिल्ली मेट्रो से रीवा में जो सोलर प्लांट लगाया गया है, उससे उसे करीब 1.90 रुपए की दर से बिजली मिल रही है।
ग्रीन बॉण्ड जारी कर चुका है इंदौर
अभी प्रदेश में नगरीय निकाय अपने स्तर पर सोलर प्लांट लगा रहे हैं। फरवरी में नगर निगम इंदौर ने ग्रीन बॉण्ड जारी किया था। निगम जलूद में 60 मेगावॉट का सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए इस ग्रीन पब्लिक बॉण्ड को जारी कर 244 करोड़ रुपए एकत्र करने का लक्ष्य रखा था। निवेशकों ने 720.25 करोड़ रुपए निवेश करने में रुचि दिखाई थी। अब इसी तर्ज पर भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर भी ग्रीन बॉण्ड जारी करने की तैयारी में है।