पोस्टर के जरिए हाथ में रिमोट लिए नेहा ने संदेश दिया, ‘तोहार नॉर्मलाइजेशन हटा देब रीमोट से!’
छात्र क्यों कर रहे हैं आंदोलन, जानें पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन (Normalization) को लेकर अभ्यर्थी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का का कहना है कि परीक्षा एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में हो, ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले और नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता न पड़े। छात्रों का मानना है कि नॉर्मलाइजेशन अन्यायपूर्ण है।
नॉर्मलाइजेशन क्या होता है?
दरअसल नॉर्मलाइजेशन का उपयोग तब किया जाता है, जब एक ही परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों या दिनों में आयोजित की जाती है। विभिन्न शिफ्टों में होने वाली परीक्षाओं के कठिनाई स्तर में अक्सर अंतर होता है, जिससे छात्रों के अंकों में असमानता देखने को मिलती है। ऐसे में नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य इन असमानताओं को संतुलित करना है ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिल सके साथ ही परीक्षा परिणाम निष्पक्ष हो सके।
आयोग का क्या है कहना?
आयोग का कहना है कि पीसीएस-प्री परीक्षा शासन की गाइडलाइन के अनुसार ही निर्धारित तिथि 7 और 8 दिसंबर को और आरओ-एआरओ (RO/ARO) परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होगी। शासन के आदेश अनुसार, पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों वाली परीक्षा के लिए एक से अधिक पालियों में परीक्षा कराने का निर्देश है, पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में 5,76,154 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस परीक्षा को कराने के लिए 1758 केंद्र की जरूरत है पर यूपी के 75 जिलों में मानक के अनुसार 978 केंद्र ही मिले। ऐसे में परीक्षा दो दिनों में करानी पड़ रही है। वहीं 10,76,004 लाख अभ्यर्थियों के लिए 22 व 23 दिसंबर को तीन पालियों में परीक्षा होगी।