बजट अनुदान 2023 मांगों पर खिजूरीबास टोल से टपूकड़ा तक सडक़ को चार से छह लेन करने, दोनों तरफ नाला निर्माण एवं बीच में जहां जमीन की आवश्यकता हो वहां पर अधिग्रहण करने की घोषणा की गई थी। इसके लिए 50 करोड़ का बजट भी घोषित किया गया। सरकार की प्राथमिकता में होने की वजह से अधिकारियों ने सर्वे कराया। डीपीआर तैयार होने के बाद प्रोजेक्ट की लागत 74 करोड़ के करीब प्रस्तावित हुई। इसके लिए सरकार ने पीडब्ल्यूडी और रीको को फंड आवंटन की जिम्मेदारी दी। प्रक्रिया पूरी होने के बाद रिडकोर ने तकनीकि टेंडर भी निकाल दिए। इस बीच में आचार संहिता लगने, सरकार बदलने, नई सरकार द्वारा पुराने कामों की जांच, अनुमति लेकर ही नए काम करने से इस प्रोजेक्ट को लेकर फिलहाल कोई प्रगति नहीं दिख रही है। तकनीकि टेंडर खोलने की अंतिम तिथि 23 मार्च थी जिसे बढ़ाकर 15 जुलाई किया गया है। टेंडर में भाग लेने वाली कंपनियों की तकनीकि बिड भी जब खुलेगी जब वित आवंटन हो जाएगा।
यह था उद्देश्यधारूहेड़ा तिराहे से खिजूरीबास तक चार से छह लेन सडक़, फुटपाथ, ट्रेक एवं हरियाली विकसित होने से बायपास की सुंदरता में वृद्धि हुई है। उद्योग नगरी में बायपास की सडक़ को मॉडल के रूप में पेश किया जा सकेगा। कुछ इसी तर्ज पर खिजूरीबास से टपूकड़ा तक सडक़ निर्माण एवं सौंदर्यीकरण होना था, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र का टपूकड़ा तक विस्तार हो चुका है। बाहर से आने वाले उद्यमी एवं आयातक-निर्यातक इसी सडक़ से उद्योग क्षेत्र में आते-जाते हैं। 14 किमी लंबाई में सडक़ विकसित होने से शहर के विकास एवं विस्तार को पंख लगते।
इसलिए जरूरी…जिस रोड का विकास होना है यह भिवाड़ी-अलवर मेगा हाईवे का हिस्सा है। एक तरफ अलवर से भिवाड़ी का आवागमन सुगम होता, दूसरी तरह टपूकड़ा से पहले खशुखेड़ा, कारौली, सलारपुर जैसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहे हैं। इसी मार्ग से कहरानी, चौपानकी औद्योगिक क्षेत्र के लिए भी रास्ते जाते हैं। इस तरह उक्त मार्ग के विकास होने से औद्योगिक क्षेत्र के विकास को पंख लगते।
अभी तक बजट का आवंटन नहीं हुआ है, इसी वजह से टेंडर की अवधि बढ़ाई गई है।पंकज मोदगिल, प्रोजेक्ट मैनेजर, रिडकोर