सडक़ पर डामरीकरण एवं डिवाइडर का काम शत प्रतिशत पूरा हो चुका है। डिवाइडर पर स्ट्रीट लाइट का काम 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। ग्रीन बेल्ट 95 फीट वाली लाइन में खिजूरीबास टोल से धारूहेड़ा मोड की तरफ टाइल्स लगाने का काम 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। फेंसिंग लगाने का काम भी अंतिम चरण में है। ग्रीन बेल्ट में बिजली के खंबे लगने हैं, यह काम शुरू हो चुका है। पौधारोपण का काम गर्मी की वजह से अभी शुरू नहीं हुआ है, इसे बारिश में ही किया जाएगा। धारूहेड़ा मोड से टोल की तरफ 55 फीट चौड़ाई में फुटपाथ का काम शुरू हो चुका है। नालियों का काम पूरा हो चुका है।
प्रोजेक्ट में देरी की वजहप्रोजेक्ट में देरी के कई कारण बीडा अभियंता बता रहे हैं। प्रोजेक्ट में सात करोड़ रुपए से बिजली की लाइन भी भूमिगत की गई हैं। इस काम को करने में काफी समय लगा है। बीडा के पास इलेक्ट्रिकल के अनुभवी अभियंता नहीं होने एवं विद्युत निगम से शटडाउन नहीं मिलने की वजह से बिजली लाइन का काम काफी देरी से हुआ। इसके साथ ही आरएचबी स्थित एसटीपी से थड़ा को जाने वाली शोधित पानी की लाइन सडक़ के बीच में आ गई। इस लाइन को शिफ्ट करने में काफी समय लगा। नगर परिषद ने तीन बार टेंडर किया जब जाकर इसे बदला जा सका। इसके साथ ही अतिक्रमण को हटाने में देरी हुई। ग्रेप की पाबंदी की वजह से भी काम को रोकना पड़ा।
ये फायदे : प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यातायात को गति मिलेगी। बायपास का माहौल बड़े शहरों की तरह होगा। लोग रोड साइड में गाड़ी खड़ी कर चार किमी तक पैदल घूमकर खरीदी कर सकेंगे।ये नुकसान – प्रोजेक्ट में देरी से सडक़ एवं अन्य निर्माण के दौरान खुदाई होने से धूल-मिट्टी उड़ती है, जिससे व्यापार प्रभावित होता है। ट्रैफिक रोकने से वाहन चालकों को असुविधा होती है।
प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण में है, कुछ ही दिनों में सभी काम पूरे हो जाएंगे।अशोक मदान, एक्सईएन, बीडा