दरअसल, ग्वालियर के थाटीपुर इलाके में स्थित कालरा अस्पताल में एक समाजसेवी संस्था ने बीती 9 दिसंबर को नेत्र शिविर लगाया था। शिविर में चपरा गांव में रहने वाले 6 लोगों जिनमें चिरंजी लाल सखवार, भागीरथ सखवार, चुन्नी बाई, राजवीर, चमेली बाई और भूरी बाई को मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए चिन्हित कर ग्वालियर ले जाया गया था। फिलहाल, इस मामले की प्राथमिक जांच में ही ये सामने आया है कि, शिविर स्वास्थ्य विभाग की अनुमति लिए बिना ही आयोजित कर लिया गया था।
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आश्वासन देकर गांव छोड़ा
ग्वालियर में कालरा अस्पताल में डॉक्टर रोहित कालरा ने सभी पीड़ितों का ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन के बाद जब मरीजों की आंखें खुलवाई गईं तो उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया। शिकायत करने पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा- कुछ समय में उन्हें दिखाई देने लगेगा। इसके बाद सभी मरीजों को उनके गांव भेज दिया गया। इसी बीच चिरंजी लाल ने आरोप लगाया कि उनकी दाईं आंख का ऑपरेशन होना था, लेकिन अस्पताल ने बाईं आंख का ऑपरेशन कर दिया। साथ ही अब समस्या ये है कि वो अब ऑपरेशन वाली आंख से पूरी तरह अंधे हो चुके हैं। उन्होंने ये भी बताया कि ऑपरेशन से पहले उनका आयुष्मान कार्ड लिया गया और उनसे कोरे कागज पर अंगूठा लगवाया गया था। यह भी पढ़ें- यहां पुलिस तक सुरक्षित नहीं! TI के घर से 1 लाख कैश और जेवर उड़ा ले गया चोर, घर के डॉग का किया ये हाल