भिंड

दंदरौआ धाम के हनुमान जी को कैसे मिली डॉक्टर की उपाधि

1938 में मिली थी हनुमान प्रतिमा

भिंडSep 13, 2022 / 11:15 pm

Vikash Tripathi

दंदरौआ धाम के हनुमान जी को कैसे मिली डॉक्टर की उपाधि

भिण्ड. जिले के मेहगांव अंतर्गत ग्राम दंदरौआ में स्थित डॉक्टर हनुमानजी मंदिर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देशभर में प्रख्यात है। उक्त देवस्थल के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा के चलते न केवल प्रति मंगलवार व शनिवार को हजारों की भीड़ उमड़ती है बल्कि बुढ़वा मंगल को डॉक्टर हनुमानजी के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था के तहत प्रशासन इसके लिए पूरे इंतजामात करता आ रहा है। आखिर दंदरौआ के हनुमानजी को डॉक्टर की उपाधि कैसे मिली इस बात को लेकर लोग जिज्ञासित रहते हैं। दंदरौआ मंदिर के महंत रामदास महाराज के अनुसार हनुमानजी के दर्शन मात्र से कैंसर तथा अन्य प्रकार के असाध्य रोगियों को भी बीमारियों से निजात मिलती आ रही है। लिहाजा श्रद्धालुओं ने ही हनुमानजी को डॉक्टर की उपाधि दे दी।
कुंवर अमृत सिंह को मिली थी प्रतिमा
उल्लेखनीय कि हनुमानजी की प्रतिमा दंदरौआ गांव के तालाब में कुंअर अमृत सिंह गुर्जर (मिते बाबा) को 1938 में मिली थी। उन्होंने उक्त प्रतिमा को नीम के नीचे स्थापित कराने के बाद पूजा अर्चना शुरू की। उस दौर में लोगों की छोटी-मोटी बीमारियां उनके दर्शन मात्र से ठीक होने लगीं। ऐसे में उनकी ख्याति सतत रूप से बढ़ती गई। बतादें कि उस दौर में मंदिर के महंत पुरुषोत्तमदास हुआ करते थे। वर्तमान महंत रामदास महाराज उनके शिष्य हैं। हालांकि महंत रामदास के अनुसार प्रतिमा का प्राकट्य 1532 में हुआ है।
छात्रों को पढ़ाई जा रही भारतीय संस्कृति
विदित हो कि दंदरौआ धाम में संचालित संस्कृत महाविद्यालय में विद्वान आचार्य अध्ययनरत छात्रों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान भी दे रहे हैं। गुरुजनों, माता-पिता के अलावा लोगों से किस तरह प्रेम और आदर से पेश आना है। इसकी शिक्षा भी मनोयोग से दी जा रही है। महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न कराने एवं वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सेवा में भी देखे जाते हैं।

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