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भिंड – अटेर विधानसभा के चुनावी माहौल : पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, बदहाल सड़कें और महंगाई बनेगी मुद्दा

भिंड और अटेर विधानसभा क्षेत्र-पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस सिलेंडर, बदहाल सड़कों, बेरोजगार महंगी शिक्षा पर लोगों के मुखर बोल- विकास के दावे-वादे तो हर कोई करता है, पर महंगाई का क्या ?

भिंडMay 01, 2023 / 09:29 pm

Faiz

भिंड – अटेर विधानसभा के चुनावी माहौल : पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, बदहाल सड़कें और महंगाई बनेगी मुद्दा

रवींद्र कुशवाह की रिपोर्ट

मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों ( मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 ) के लिए राजनीतिक दल अपने राजनीतिक हथियारों को धार देने में जुट गए हैं। प्रदेश की राजनीति में अतिसंवेदनशील और उठापटक के केंद्र रहे भिंड जिले के मतदाताओं के मन में इन चुनावों को लेकर क्या खिचड़ी पक रही है, इसका जायजा लेने पत्रिका की टीम भिंड और अटेर विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर निकल पड़ी।

शहर छोड़कर नेशनल हाइवे क्रमांक 552 से होते हुए ऊमरी कस्बे में कनावर रोड पर पहुंचने पर वहां एक समूह में आधा दर्जन लोग बैठे दिखे। उनके बीच बैठकर बिना परिचय के संवाददाता ने जब बात छेड़ी कि, सड़क तो अच्छी बनी है तो अजमेरी खां तपाक से बोल पड़े, ग्राम पंचायत के अंदर की सड़कें देखकर सारी खुशी काफूर हो जाएगी। यही नहीं, बलवीर बरेठा ने भी कहा कि, मरघट पर बरसात में पहुंचना मुश्किल है।


‘विकास नहीं प्रत्याशी पर होता है यहां चुनाव’

भरी दोपहर में टीम क्वारी नदी के निर्माणाधीन पुल के बगल कच्ची राह से भवनपुरा पहुंची। सड़क किनारे ताश खेल रहे आधा दर्जन लोगों के बीच दबी जुबान में बात छेड़ी कि, चुनाव को लेकर क्या चल रहा है ? इसपर 70 वर्षीय रामदत्त सिंह भदौरिया बौहरे ने जवाब दिया कि, आप कहो उसी को वोट कर देंगे हम। हमने बात को साधते हुए कहा कि, हम तो सरकारी योजनाओं की स्थिति जानना चाहते हैं तो फिर वे तपाक से बोले कि, सरकार ने लाड़ली बहना योजना चला दी है, महिलाएं बेचारीं ई – केवायसी के लिए धक्के खा रही हैं। महंगाई की हालत ये है कि, सिलेंडर 1200 रुपए का हो गया है। क्या चुनाव में ये सब बातें मुद्दा होंगी ? पूछने पर बौहरे ने कहा कि यहां चुनाव विकास पर नहीं प्रत्याशी पर होता है।

 

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सड़क पर दिनभर लगा रहता है जाम

पेट्रोल डीजल के बढ़े दाम बन रहे मुद्दा

इन दिनों देश में अडानी, राहुल गांधी के मुद्दे चल रहे हैं। इनका यहां कितना असर है, यह जानने के लिए इटावा रोड निवासी रामवीर यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि, यहां तो डीजल-पेट्रोल के बढ़े हुए दाम का मुद्दा है, जिसका असर हर क्षेत्र में है। फूप में सुरपुरा रोड स्थित एक आटा चक्की पर सकराया के बच्चूलाल जाटव बोले कि, गांव का सामुदायिक भवन तक तो ठीक नहीं है।


‘अग्निवीर योजना ही गलत’

इसके बाद पत्रिका की टीम अटेर की ओर बढ़ी। वहां सरपुरा में बस स्टैंड पर गांव की स्थिति के बारे में पूछने पर मधैयापुरा के हरि सिंह बोले कि, पानी की टंकी कुछ दिन पहले बनी थी, जो टपकने भी लगी है। शिकायत करो तो कोई सुनता नहीं। हमीरापुरा के सहदेव सिंह भदौरिया से पूछा क्षेत्र में क्या चल रहा है तो उन्होंने कहा कि, बेरोजगारी बहुत है, चंबल पुल जल्द बने तो आगरा से आवागमन सुगम होने पर रोजगार भी आ सकता है। प्रतापपुरा से परा – जवासा होते हुए मुरलीपुरा पहुंचे तो मोड़ पर बातचीत में अग्निवीर का जिक्र आने पर युवा संदीप यादव उखड़ गए। उन्होंने कहा कि, योजना ही गलत है। चार साल में क्या लेकर आएंगे और इसके बाद क्या करेंगे ?

 

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‘लाड़ली बहना योजना में महिलाओं ने अबतक धक्के ही खाए’

मुरलीपुरा मोड़ पर विजय कुमार ने जवाब देते हुए कहा कि, तकनीकी एवं उच्च शिक्षा महंगी है, हम इंजीनियरिंग करना चाहते थे, लेकिन आईटीआई करनी पड़ रही है। किसान परिवार के विकास यादव ने कहा कि, किसानों की कोई नहीं सुन रहा। मंदिर के पुजारी को तो पांच हजार देने को सरकार तैयार है, हमारी चार बीघा फसल बीते साल जल जाने पर चार हजार रुपए मुआवजा मिला। मुरलीपुरा मोड़ पर ही गुमठी का संचालन करने वाली महिला से नाम पूछा, तो बोली नाम का क्या, काम बोलो। उज्ज्वला में सिलेंडर मिल गया न, पूछने पर बोली कि, सरकार ने सिलेंडर मुफ्त दे दिया, लेकिन उसमें गैस भरवाना महंगा कर दिया, गरीब कैसे भरवाएं। लाड़ली बहना से खुश हो? यह पूछा तो उसने कहा, महिलाओं ने अब तक इसमें धक्के ही खाए हैं।


‘सरकार को निगरानी तंत्र मजबूत करना चाहिए’

इसके बाद पत्रिका की टीम भिंड शहर में चर्चा के लिए पुरानी गल्ला मंडी पहुंची, तो व्यापारी विजय जैन ने कहा कि, तेल के दाम महंगे होने से वाहनों का भाड़ा भी बढ़ गया है। कारोबारी योगेश शिवहरे और अजय जैन कहते हैं कि, विकास के दावे हर कोई करता है और काम भी हुए हैं, लेकिन महंगाई से हर क्षेत्र प्रभावित है। इटावा रोड पर रेडीमेड गारमेंट की दुकान पर बैठे प्रकाशचंद जैन बोले कि, शहर में दो साल पहले कनेक्शन के बावजूद पानी नहीं आ रहा और सीवर के कनेक्शन नालियों से कर देने से सफाई बंद हो गई। महंगाई तो अपनी जगह बड़ा मुद्दा है ही, सरकार को निगरानी तंत्र मजबूत करना चाहिए, लेकिन कमीशनखोरी के चलते निगरानी कौन करे ?

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