58 वर्षीय चौधरी राकेश सिंह 1990 से चार बार भिंड से कांग्रेस के विधायक रहे व विपक्ष के उप नेता के रूप में कार्य किया।ख्इससे पहले वह 1998 से 2003 के बीच दिग्विजय सिंह की कैबिनेट में मंत्री थे। चौधरी ने जुलाई 2013 में कांग्रेस छोड़कर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के समक्ष भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी। चौधरी ने 1979 में भिण्ड से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत की। अपने विधायक पिता चौधरी दिलीपसिंह के निधन के बाद 1990 में वह पहली बार भिण्ड से विधायक बने।
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1996 का उपचुनाव व 1998 का चुनाव जीतने के बाद वह 2001-02 में मप्र के शहरी विकास, आवास और पर्यावरण विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे। अगस्त 2003 में वाक्पटुता और संसदीय नियमों-विनियमों के व्यापक ज्ञान के लिए उन्हें प्रदेश सरकार ने पं.कुंजीलाल दूबे उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार दिया। चौधरी ने भिंड सीट पर कांग्रेस का गढ़ बनाए रखा और 2008 के चुनावों के बाद 13वीं मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए अपनी चौथी जीत दर्ज की।ख्2008 और 2013 के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा में उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विधायकों के प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था।
तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष जमुना देवी ने उनकी संसदीय क्षमता को स्वीकार करते हुए उन्हें विपक्ष का उप नेता नियुक्त कियाथा। उनके निधन के बाद चौधरी ने मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के कार्यवाहक नेता के रूप में कार्य किया। चौधरी 2013 में अप्रत्याशित रूप से भाजपा में चले गए थे। भाजपा ने 2013 में उनके छोटे भाई चौधरी मुकेश सिंह को मेहगांव से टिकट देकर विधायक बनाया। चौधरी राकेशसिंह को भी पार्टी द्वारा राज्यसभा में भेजे जाने का भरोसा दिया गया था, पर ऐसा नहीं हो पाया। वे पार्टी में लंबे समय से अपनी उपेक्षा से आहत थे।