गोहद के बरोना में निर्मित तालाब।
भिण्ड. मनरेगा के पोर्टल पर जिले में अमृत सरोवरों की स्वीकृत संख्या 160 दिखाई जा रही है। लेकिन हकीकत में 100 की ही स्वीकृति है। वहीं 130 तालाबों के लिए जगह चयन सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करने की बात कही जा रही है जो 100 है। तालाबों के लिए स्थल चयन में मिट्टी की गुणवत्ता व्यावहारिक समस्याएं पैदा कर रही है। मिट्टी पानी ज्यादा सोखने वाली होने से तालाबों में पानी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाता है। लेकिन माना जा रहा है कि इन तालाबों के निर्माण के बाद 100 हैक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को सिंचित किया जा सकेगा। वहीं ग्रामीणों को पशुओं को पानी पिलाने सहित निस्तार के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा।
आर्थिक गतिविधियों पर कोई ठोस प्लान नहीं
एक अमृत सरोवर के निर्माण पर औसतन 14 से 15 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मंशा यह है कि इन तालाबों के निर्माण के बाद जहां आसपास का भूजल स्तर सुधरेगा, किसानों की खेती में सिंचाई हो सकेगी और निस्तार के लिए पानी मिल सकेगा, वहीं मछली पालन एवं सिंघाड़ा उत्पादन सहित अन्य आर्थिक गतिविधियों का संचालन भी हो सकेगा। जिला पंचायत इसके लिए इसके लिए मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से मछली पालन कराने की योजना पर काम करने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाले बरसात के मौसम में कुछ तालाबों में मछली पालन का कार्य शुरू कराया जा सकता है। इसके लिए ज्यादा समय तक पानी संधारित रखने की क्षमता वाले तालाबों का सर्वे कर चिन्हांकन किया जाएगा।
बरौना के तालाब पर बढ़ सकती हैं आर्थिक गतिविधियां
जनपद पंचायत गोहद की ग्राम पंचायत बरौना के ग्राम एमनपुरा में 1.5 हैक्टेयर की कैचमेंट एरिया वाले तालाब का निर्माण कराया गया है। इसमें 35 हजार घनमीटर पानी भरा जा सकता है। 100 से ज्यादा श्रमिकों ने यहां काम कर तालाब का निर्माण कराया। इससे गांव के हैंडपंपों का जल स्तर बढ़ गया। गांव में जहां पहले 150 फीट तक पाइप हैंडपंप में लगता था, अब वही 100-120 फीट पर आ गया है। इससे करीब 20 हैक्टेयर में सिंचाई का प्रस्ताव भी है। यहां अमृत सरोवर का सिंचाई के साथ मछली पालन, सिंघाड़ा की खेती जैसे व्यावसायिक उपयोग पर भी विचार किा जा रहा है।
कथन
-अमृत सरोवर योजना में जिले को 100 का लक्ष्य मिला है। पोर्टल पर ज्यादा दिख रहा है, जिसे संशोधित कराया जा रहा है। 35 तालाबों का निर्माण करीब पूरा हो चुका है, बाकी पर तेजी से काम हो रहा है। मछली पालन सहित अन्य आर्थिक गतिविधियां भी इन तालाबों पर संचालित करने का प्रयास किया जाएगा।
प्रमोद सिंह तोमर, परियोजना अधिकारी, मनरेगा, जिला पंचायत।