दरअसल गोहद मंडी में जिले भर से किसान धान लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन व्यापारी 2000 रुपए से धान की बोली शुरू कर 2400 पर खत्म कर देते हैं। किसानों का आरोप है कि पड़ोसी जिलों मुरैना, श्योपुर और दतिया सहित महाराष्ट्र में धान के भाव 3600 से 4500 रुपए तक चल रहे हैं।
यह भी पढ़ें: विजयपुर के बहाने- रामनिवास रावत के बढ़ते कद से बीजेपी में किसे दिक्कत, कांग्रेस में भी हो रही कलह
किसानों का कहना है कि धान की आवक अधिक होने से व्यापारी मनमर्जी से सस्ते भाव में धान खरीदकर बाहर भेज रहे हैं। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है, उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है। किसानों ने आरोप लगाया कि तीन-तीन दिन तक अनाज की बोली नहीं लग रही है। ग्रामीण इलाकों से किसान भाड़े पर ट्रैक्टर लेकर आते हैं। मंडी में बोली न लगने से उन्हें अतरिक्त भाड़ा देना पड़ता है।
किसानों का कहना है कि धान की आवक अधिक होने से व्यापारी मनमर्जी से सस्ते भाव में धान खरीदकर बाहर भेज रहे हैं। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है, उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है। किसानों ने आरोप लगाया कि तीन-तीन दिन तक अनाज की बोली नहीं लग रही है। ग्रामीण इलाकों से किसान भाड़े पर ट्रैक्टर लेकर आते हैं। मंडी में बोली न लगने से उन्हें अतरिक्त भाड़ा देना पड़ता है।
विधायक बोले-सैंपल के नाम पर लूट
किसानों के समर्थन में कांग्रेस विधायक केशव देसाई ने मंडी सचिव को छह सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा मंडी में सैंपल के नाम पर किसानों से पांच से दस किलो उपज ली जा रही है, इस लूट को रोकने के लिए कार्रवाई की जाए। मंडी के बाहर खरीदी बंद करवाएं। जिन व्यापारियों के लाइसेंस हैं पर वह खरीदी नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ नोटिस जारी किए जाएं। कैंटीन में किसानों को भोजन नहीं मिल रहा है। इसलिए कैंटीन का ठेका निरस्त किया जाए। फसल का भुगतान कलेक्टर के द्वारा निर्धारित समय सीमा में किया जाए।
किसानों के समर्थन में कांग्रेस विधायक केशव देसाई ने मंडी सचिव को छह सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा मंडी में सैंपल के नाम पर किसानों से पांच से दस किलो उपज ली जा रही है, इस लूट को रोकने के लिए कार्रवाई की जाए। मंडी के बाहर खरीदी बंद करवाएं। जिन व्यापारियों के लाइसेंस हैं पर वह खरीदी नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ नोटिस जारी किए जाएं। कैंटीन में किसानों को भोजन नहीं मिल रहा है। इसलिए कैंटीन का ठेका निरस्त किया जाए। फसल का भुगतान कलेक्टर के द्वारा निर्धारित समय सीमा में किया जाए।